विभाग सौंपने से रोकने का निर्देश अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता
Ranchi: मनी लाउंड्रिंग मामले में ट्रायल फेस कर रही आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को पीएमएलए कोर्ट से राहत मिली है। हालांकि यह राहत प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) पर निर्भर करता है। कारण ईडी पूजा सिंघल को सरकारी कार्यालय में कोई भी पद सौंपने से रोकने को लेकर ऊपरी अदालत में जा सकती है। निचली अदालत को यह पावर नहीं है कि पूजा सिंघल को विभाग मिलने से रोका जाए। पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने शुक्रवार को अपना सुरक्षित आदेश सुनाई। 17 फरवरी को सुनवाई पश्चात आदेश सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार को पूजा सिंघल को किसी सरकारी कार्यालय में कोई पद सौंपने से रोकने का निर्देश इस अदालत द्वारा पारित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि परिस्थितियों को देखते हुए इसकी आवश्यकता नहीं है और यह भी कि किसी भी कार्यालय में किसी भी लोक सेवक की नियुक्ति के संबंध में विवेकाधिकार पूरी तरह से राज्य का कार्यकारी कार्य है।
यह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। अदालत ने कई निर्देश देते हुए दायर याचिका का निपटारा कर दिया है। साथ ही आदेश की कॉपी राज्य के मुख्य सचिव को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजने का निर्देश दिया है। ईडी ने 31 जनवरी को याचिका दायर कर पूजा सिंघल को निलंबन मुक्त होने के बाद कोई विभाग नहीं देने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। दाखिल याचिका पर ईडी की ओर से अतिश कुमार ने बहस की थी। मालूम हो कि पूजा सिंघल को नए कानून बीएनएसएस के तहत बीते 7 दिसंबर को पीएमएलए कोर्ट ने जमानत की सुविधा प्रदान की थी। जेल से निकलने के बाद राज्य सरकार ने ढाई साल से अधिक समय से निलंबित चल पूजा सिंघल का निलंबन वापस ले ली। इसके बाद उन्होंने कार्मिक विभाग में योगदान दिया था। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग भी कर दी गई है।