दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह हटाने और उनके स्थान पर प्रत्याशियों के नाम, उम्र, योग्यता और तस्वीर के इस्तेमाल की मांग की गयी है। उक्त याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है। याचिका में आग्रह किया गया है कि ईवीएम में चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल को गैरकानूनी व असंवैधानिक घोषित किया जाए।
याचिका में कहा गया है कि राजनीति को भ्रष्टाचार और अपराधीकरण से मुक्त कराने के लिए यह उत्तम प्रयास होगा कि मतपत्रों और ईवीएम से राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह हटाकर उनके स्थान पर प्रत्याशियों के नाम, उम्र, शैक्षणिक योग्यता और उनकी तस्वीर लगाई जाए। ताकि इससे मतदाताओं को ईमानदार और योग्य प्रत्याशियों का चयन करने में मदद मिले। इसके अलावा चुनाव चिन्ह के बगैर ईवीएम होने से कई लाभ होंगे।
याचिका में कहा गया है कि बगैर चुनाव चिन्ह वाले मतपत्रों और ईवीएम से टिकट वितरण में राजनीतिक दलों के हाईकमान की तानाशाही पर अंकुश लगेगा तथा वे जनता की भलाई के लिये ईमानदारी से काम करने वाले लोगों को पार्टी का टिकट देने के लिये बाध्य होंगे। गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अध्ययन का हवाला देते हुये याचिका में कहा गया है कि 539 सांसदों में से 233 सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है।
याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2014 के चुनाव में विजयी 542 सांसदों में से 185 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की और वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जीते 543 सांसदों में से 162 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की थी। इस स्थिति की मूल वजह मतपत्रों और ईवीएम में राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल है।