New Delhi: Pegasus Espionage Case: सुप्रीम कोर्ट ने कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले कुछ लोगों के सोशल मीडिया पर समानांतर बहस चलाने पर आपत्ति जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब अदालत जांच कर रही है तो कुछ अनुशासन जरूरी है और उन्हें सिस्टम पर भरोसा होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, कुछ सवाल पूछे जा सकते हैं। वे असुविधाजनक या उत्साहजनक हो सकते हैं। दोनों पक्षों को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। अगर उनके पास उठाने के लिए कुछ बिंदु हैं, तो वे एक हलफनामा दायर करके ऐसा कर सकते हैं। पीठ प्रत्येक पहलू पर गौर करेगी, लेकिन उन्हें सिस्टम में विश्वास होना चाहिए।
इसी बीच एन राम सहित अन्य याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछली सुनवाई में अदालत ने कैलिफोर्निया अदालत के आदेश में भारतीय पत्रकारों के नाम न होने की बात कही थी, जबकि याचिका में उसका जिक्र था। सिब्बल ने कहा इस बात पर उनका ट्रोल हुआ।
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इस पर सीजेआई रमण ने कहा, इसे बेवजह संदर्भ में लाया गया। बहस को सीमा पार नहीं करनी चाहिए। यदि वे सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं, तो उन्हें सिस्टम में विश्वास होना चाहिए। इस मामले में पीठ वकील एमएल शर्मा, सांसद जॉन ब्रिटास, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पत्रकार एन राम, शशि कुमार, परंजॉय गुहा ठकुराता, रूपेश कुमार सिंह, इप्शिता शताक्षी, प्रेम शंकर झा आदि की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि जासूसी मामले की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सरकार का निर्देश लाने के लिए उन्हें थोड़ा समय दिया जाए। पीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए मेहता को 16 अगस्त तक का समय दे दिया। इस मामले पर उसी दिन सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान आरएसएस के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य के वकील विकास सिंह ने पीठ को सूचित किया कि गोविंदाचार्य ने भी इस मामले में अदालत का रुख किया है। सिंह ने बताया कि 2019 में पेगासस द्वारा कथित निगरानी की जांच के लिए गोविंदाचार्य अदालत आए थे।
लेकिन उनकी याचिका पर विचार नहीं किया गया। सिंह ने बताया कि उसके बाद वह संसदीय समिति के पास गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जिसके बाद शीर्ष अदालत सोमवार को अन्य याचिकाओं के साथ गोविंदाचार्य की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई।
इससे पहले पांच अगस्त की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि रिपोर्ट सही हैं, तो पेगासस जासूसी मामले के आरोप बेहद गंभीर प्रकृति के साथ ही याचिकाकर्ताओं से यह भी पूछा था कि क्या उन्होंने इस मामले में आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का कोई प्रयास किया।