कुख्यात अपराधी संदीप थापा बरी, गवाही देने कोर्ट तक नहीं पहुंचे पुलिस पदाधिकारी, वारंट भी नहीं आया काम-Court News
Court News: कुख्यात अपराधी संदीप थापा उर्फ संदीप प्रधान को अदालत ने रंगदारी से जुड़े एक मामले में पुलिस पदाधिकारी की लापरवाही के कारण कोर्ट ने बरी कर दिया है। सुनवाई के दौरान कोई भी पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिसकर्मी गवाही देने अदालत नहीं पहुंचे। जिस एएसआई ने प्राथमिकी दर्ज कराई और जिसने घटना की जांच की थी। अदालत के कई सख्त कदम के बावजूद एक भी गवाह घटना का समर्थन करने कोर्ट नहीं पहुंचा।
संदीप थापा के खिलाफ सुखदेव नगर थाना के तत्कालीन एएसआई दीनानाथ राम ने 15 सितंबर 2018 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कौशल कुमार श्रीवास्तव ने जांच पूरी करते हुए 31 दिसंबर 2018 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। जिस पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए 7 नवंबर 2019 को आरोपी पर आरोप तय किया गया।
एसएसपी से लेकर डीजीपी तक को गया लिखा :
आरोप गठन के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष को आरोपी पर लगे आरोप को साबित करने का निर्देश दिया। लेकिन चार साल से अधिक समय देने के बावजूद एक भी गवाह कोर्ट तक नहीं पहुंचा। अदालत ने अपने स्तर पर गवाह बुलाने के लिए लगभग सभी तरह के न्यायिक कदम उठाया। समन, वारंट, गिरफ्तारी वारंट पर गवाह नहीं पहुंचा तो एसएसपी रांची एवं डीजीपी को पत्र लिखा। लेकिन इसका भी कोई असर गवाहों पर नहीं पड़ा। अंतत: न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने केस को बंद करते हुए आरोपी को बरी कर दिया।
संदीप थापा पर रंगदारी मांगने का आरोप :
संदीप थापा जब पलामू जेल में बंद था, तब उस पर सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के व्यवसायियों और बिल्डरों से रंगदारी मांगने का आरोप लगा था। कहा गया था कि वह शुभम कुमार यादव नामक व्यक्ति के नाम से सिम से रंगदारी मांग रहा था। फर्जी कागजात के आधार पर सिम लिया गया था और उसका इस्तेमाल रंगदारी मांगने और लोगों को धमकाने में किया जा रहा था। इस आरोप पर 15 सितंबर 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
क्रिमिनल अपील अदालत ने की खारिज :
न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत से संदीप थापा को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए अभियोजन पक्ष की ओर से सेशन कोर्ट में क्रिमिनल अपील दाखिल की गई। जिस पर सुनवाई पश्चात अपर न्यायायुक्त पंचम की अदालत ने अपील खारिज कर दी।
कोर्ट की कार्रवाई पर एक नजर
- 10 जनवरी 2020 – गवाहों को समन
- 17-12-2021 – गवाहों को वारंट
- 07-06-2022- एसएसपी रांची
- 19-07-2022- गवाहों को फ्रेश समन
- 02-09-2022: डीजीपी को पत्र
- 21-11-2022: गवाहों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
- 23-12-2022: पुन: फ्रेश समन(भेजा गया थाना)
- 05-01-2023: पुन: थाना को समन के निष्पादन के लिए भेजा गया
- 11-04-2023: अभियोजन को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अंतिम मौका