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विश्व संगीत दिवस ‘फेटे डी ला म्यूजिक’ यानि म्यूजिक दिवस के बारे में जानें

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Music Day 21 जून को ‘विश्व संगीत दिवस’ सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। इस दिन को ‘फेटे डी ला म्यूजिक’ के नाम से भी जानते हैं, जिसका अर्थ है म्यूजिक फेस्टिवल। सुरों की देवी मां सरस्वती के कर-कमलों में वीणा की उपस्थिति हीं संगीत की महत्व एवं महानता को दर्शाता है तथा ईश्वर का अनुपम दैवीय वरदान की कहानी स्वयं कह जाती है।

कहते हैं कि संगीत एक ऐसी भाषा है जो पूरी दुनिया समझती है, इसलिए कहा जाता है कि जीवन के लिए जितनी सांसें जरूरी है, उसी प्रकार संगीत भी जरूरी है। इसका संबंध आत्मा से उसी प्रकार है जैसे शरीर का भोजन से संबंध हैं। संगीत की ताकत है कि जब तानसेन बादशाह अकबर के दरबार में राग दीपक गाया था तब बुझे हुए दीये भी जलने लगे थे।

राग मल्हार गाया था तो झमाझम बारिश होने लगी थी। संगीत भावना से जोड़कर भावनात्मक सहयोग अंतरात्मा को देता है तथा मन-मस्तिष्क को शांत, स्थिर एवं आनंदमय कर देता है। दिलकश अंदाज में पेश की गई सुरीली, माधुर्य एवं सुरमयी संगीत पूरे जीवन को प्रफुल्लित कर देता है। संगीत दो दिलों और आत्माओं को जोड़ता है।

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संगीत विषम परिस्थितियों में मन के विकारों और अवसाद के भारी पलों में एक कुशल चिकित्सक की तरह मरहम भी लगाता है और हर मर्ज की दवा बनता है। कोरोना संकट में जब लोग घरों और चारदिवारियों में कैद थे तब संगीत हीं सकारात्मकता, जीने का हौसला और चेहरे पर चहचहाहट लाने में सशक्त माध्यम बना।

संगीत ने शारीरिक व मानसिक रोगियों के लिए रामबाण व ब्रहास्त्र बना तथा एक नई ऊर्जा, ताकत व राहत प्रदान की। इसलिए कह सकते हैं जीवन का वजूद ही संगीत है। इस तरह संगीत मनुष्य के अंदर रच-बस चुका है कि इसके बिना जीवन की कल्पना हीं व्यर्थ है।

आज के युवा जो संगीत में दिलचस्पी रखते हैं तो वह प्रतिदिन रियाज करें जिसमें शास्त्रीय एवं सुगम संगीत दोनों का मिश्रण हो। संगीत साधना की चीज है। इसलिए साधक बनें, संगीत को जिए तब आप सुमधुर व कर्णप्रिय संगीत लोगों के प्रदान कर सकते हैं। बदलते परिवेश में संगीत के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है तो जाहिर सी बात है संघर्ष और पेचिदा वाला भी क्षेत्र हो गया।

संगीत में पारंगत होने के लिए वह आपका समय मांगता है, यहां तक जीवन भी मांगता है। लेकिन संघर्ष के साथ कैरियर को भी लेकर अपार संभावनाएं हैं बढ़ी हैं। बशर्ते आपमें टैलेंट के साथ आपको जुनूनी, मेहनती, धैर्यवान, तथस्थ, तथा सृजनात्मक होना होगा। तब जाकर आपक संगीत के सही साधक होंगे।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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