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निजी स्कूलों के संचालन में सरकार ने किया बदलाव, HC ने कहा- दबाव बनाने वाले अधिकारियों पर होगी अवमानना की कार्रवाई Ranchi News

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रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों के लिए तय मानकों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की खंड़पीठ ने पूर्व में निजी स्कूलों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक के आदेश को बरकरार रखा।

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इस दौरान प्रार्थियों की ओर से अदालत को बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से मान्यता को लेकर निजी स्कूलों को परेशान किया जा रहा है।

इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि अगर शिक्षा विभाग को कोई अधिकारी निजी स्कूलों पर मान्यता को लेकर दबाव बनाता है तो उसके खिलाफ अदालत अवमानना का मामला चलाएगी।

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इस मामले में अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार द्वारा 25 अप्रैल 2019 को लागू की गई संशोधित नियमावली को चुनौती दी गई है।

निजी स्कूलों के संचालन में हुआ बदलाव

इसमें कहा गया है कि पूर्व से चल रहे या नए स्कूलों के संचालन के लिए राज्य सरकार से अनुमति
लेनी होगी। सरकार द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा करने के बाद ही स्कूल संचालन की अनुमति दी जाएगी।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया था कि केंद्र सरकार ने आरटीई (शिक्षा का अधिकार) एक्ट बनाया है। इसके तहत राज्य सरकार को नियमावली बनानी है और उसे लागू करना है।

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राज्य सरकार ने एक्ट में तय मानकों में ही बदलाव कर दिया है, जो उचित नहीं है। राज्य सरकार को सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों के अनुपालन के लिए नियमावली बनाने का अधिकार है।

राज्य सरकार किसी भी हाल में एक्ट के मानकों में बदलाव नहीं कर सकती है। सरकार का यह भी आदेश सही नहीं है कि जिस जमीन पर निजी स्कूल चल रहे हैं या बनाया जाना है।

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अब स्कूल के नाम से सेल डीड या फिर तीस साल के लिए लीज पर जमीन लेनी होगी। वर्तमान में कई स्कूल भाड़े की जमीन, गिफ्ट डीड और ट्रस्ट की जमीन पर चल रहे हैं।

ऐसे में कई स्कूल बंद हो जाएंगे और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। बच्चों की पढ़ाई को देखते हुए अदालत ने पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी।

निजी स्कूलों में जमीन की हुई अनिवार्यता

सरकार ने 25 अप्रैल 2019 को आरटीई एक्ट-2009 के तहत बनी नियमावली में संशोधन किया है। इसके तहत शहरी क्षेत्र में एक से कक्षा आठ तक चलने वाले स्कूलों के पास 60 डिसमिल और ग्रामीण इलाकों में एक एकड़ जमीन उपलब्ध होना अनिवार्य है।

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इसी तरह एक से कक्षा पांच तक के लिए शहरी क्षेत्र में 40 डिसमिल और ग्रामीण इलाकों में 60 डिसमिल जमीन होना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा छात्रों के अनुसार शिक्षक, क्लास रूम और प्ले ग्राउंड के भी मानक तय किए गए हैैं।

इसको लेकर शिक्षा सचिव ने जुलाई 2019 में सभी उपायुक्त और डीएसई को पत्र लिखकर संशोधित नियमावली लागू करने का आदेश दिया है। कहा गया है कि अगर कोई स्कूल इस मानकों को पूरा नहीं करता है तो उसे बंद कराया जाए।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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