साहिबगंज में अवैध खनन की जांच करेगी सीबीआई, HC ने कहा- प्रारंभिक जांच कर एक माह में दें रिपोर्ट

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में साहिबगंज में अवैध खनन की जांच मामले में ईडी के विजय हांसदा के आरोपों पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने साहिबगंज में एक हजार करोड़ रुपये के अवैध खनन की जांच सीबीआई को सौंप दी है। अदालत ने कहा कि सीबीआई विजय हांसदा के आरोपों की जांच करेगी।

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त मामले में सत्ता के करीबी पंकज मिश्रा सहित अन्य लोग शामिल हैं। इसलिए इसकी प्रारंभिक जांच जरूरी है।

अदालत ने साहिबगंज अवैध खनन के साथ-साथ विजय हांसदा के आरोपों की भी जांच करेगी, जिसमें उसे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं करने की बात कही है।

विजय हांसदा ने एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर कहा था कि हाई कोर्ट में साहिबगंज में अवैध खनन से संबंधित किसी प्रकार की कोई याचिका दाखिल नहीं की थी।

वह न तो याचिका दाखिल करने वाले वकील और न ही इस मामले में पैरवी करने वाले को जानता है। लेकिन उसे इस याचिका के लिए धमकी मिल रही है।

उसने इसे संबंधित मामले में जगन्नाथपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। अदालत ने उक्त मामले की प्रारंभिक जांच सीबीआई को सौंपते हुए एक माह में रिपोर्ट मांगी है।

विजय हांसदा ने याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं

17 अगस्त को विजय हांसदा ने उक्त याचिका को वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की थी। लेकिन अदालत ने वापस लेने की अनुमति नहीं दी।

ईडी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने उक्त याचिका को वापस लेने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह गंभीर मामला है। केस वापस नहीं हो सकता है।

अदालत ने कहा कि राज्य के उच्च पदों पर पदस्थापित के खिलाफ जांच का मामला है। प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि प्रार्थी किसी के दबाव में याचिका वापस ले रहा है।

इसलिए याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और इसके लिए प्रार्थी की ओर से दाखिल आइए याचिका को खारिज किया जाता है। अदालत ने प्रार्थी के परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।

प्रार्थी का दावा- अवैध खनन को लेकर नहीं दाखिल की याचिका

सुनवाई के दौरान प्रार्थी विजय हांसदा की ओर से वरीय अधिवक्ता जेपी झा और अधिवक्ता एसएस चौधरी ने अदालत को बताया कि उक्त याचिका विजय हांसदा ने नहीं दाखिल की है।

कहा गया कि जब याचिका दाखिल की गई थी तो वह एक मामले में जेल में था। विजय हांसदा न तो याचिका दाखिल करने वाले वकील और न ही मामले में पैरवीकार को जानता है।

जेल से बाहर निकलने के बाद जब विजय हांसदा को इसकी जानकारी मिली तो वह हाई कोर्ट में इसकी जानकारी लेने के आया था। उस दौरान उसे धमकी भी मिली है।

उनकी जान को खतरा है। ऐसे में याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान करते हुए प्रार्थी को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। ईडी की ओर से इसका विरोध किया गया।

ईडी के अधिवक्ता ने कहा गया कि साहिबगंज में अवैध खनन हो रहा है। इसकी जांच ईडी कर रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उक्त याचिका को वापस लेने की अनुमति नहीं दी जाए।

इधर, विजय हांसदा ने जगन्नाथपुर थाने में इस संबंध में आवेदन दिया है। जिसमें धमकी देने का आरोप लगाया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

बता दें कि विजय हांसदा के अनुसार उसके नाम से साहिबगंज में हो रहे अवैध खनन की जांच सीबीआइ से कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है।

इस मामले में पंकज मिश्रा सहित अन्य लोगों को ईडी ने गिरफ्तार किया है। अवैध खनन के लिए ब्लास्टिंग की वजह से गांव वालों को परेशानी हो रही है।

विजय हांसदा के मूल याचिका में कहा है कि उन्होंने साहिबगंज के जिरवाबाड़ी थाना क्षेत्र में नींबू पहाड़ पर हुए अवैध खनन सहित अवैध माइनिंग को रोकने के लिए कई कदम उठाया है।

जिसे लेकर साजिश के तहत उनके खिलाफ साहिबगंज के थाने में एसटी/एससी केस दर्ज किया गया है, इसकी सीबीआई से जांच कराई जाए।

दरअसल, विजय हांसदा ने याचिका दायर कर कहा था कि उसने पंकज मिश्रा एवं अन्य के द्वारा नींबू पहाड़ पर अवैध खनन पर जो शिकायत की थी उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

अवैध खनन में पंकज मिश्रा एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की बजाय पुलिस ने उसके खिलाफ ही प्राथमिक की दर्ज कर उसे ही जेल में बंद कर दिया।

उसके खिलाफ साहिबगंज एससी /एसटी थाना में कांड संख्या 6 /2022 दर्ज की गई है, इसकी निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराई जाए।

विजय हांसदा द्वारा पुलिस में की गई शिकायत के आधार पर नींबू पहाड़ में अवैध खनन को लेकर पुलिस ने पंकज मिश्रा एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

इसी प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने पंकज मिश्रा एवं अन्य के खिलाफ ईडी ने एक नई ईसीआईआर दर्ज की है। विजय हांसदा ने बरहरवा कांड के आधार पर ईडी द्वारा दर्ज की गई ईसीआईआर में अपना बयान दर्ज करवाया था।

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