Maternity leave: हाई कोर्ट का अहम फैसला, निजी सेक्टर व संविदा पर काम करनेवाली महिला मातृत्व अवकाश की हकदार
Ranchi: Maternity leave निजी कंपनी या संविदा सहित किसी भी प्रकार से नियुक्त महिलाओं को मातृत्व अवकाश का लाभ मिलेगा। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में अपने आदेश में कहा है कि मातृत्व अवकाश लाभ अधिनियम- 1961 की धारा दो के अनुसार मातृत्व अवकाश सभी प्रकार के संस्थानों पर लागू होगा। चाहे वह सरकारी हो या फिर गैर सरकारी।
अदालत ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 29 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट की साइट पर आदेश अपलोड हुआ है। इसमें अदालत ने प्रार्थी को बोकारो उपायुक्त के यहां आवेदन देने कहा है और उसके दो सप्ताह में उपायुक्त बकाया भुगतान करेंगे। इस संबंध में सरिता कुमारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर मातृत्व अवकाश के दौरान राशि के भुगतान की मांग की है।
पूर्व की सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता शादाब बिन हक ने अदालत को बताया था कि प्रार्थी सरिता कुमारी बोकारो जिले के समाज कल्याण विभाग में प्रोटेक्शन ऑफिसर इंस्टीट्यूशन केयर (पीओआइसी) के पद वर्ष 2013 में नियुक्त हुईं।
इसे भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- व्यक्ति की स्वतंत्रता अहम, जमानत याचिका पर जल्द हो सुनवाई
तीन अक्टूबर 2019 से लेकर 30 मार्च 2020 तक वह मातृत्व अवकाश पर रहीं, लेकिन उन्हें इस अवधि का वेतन नहीं मिला। उन्होंने इसको लेकर विभाग सहित उपायुक्त के यहां आवेदन दिया था, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
शादाब बिन हक ने अदालत को बताया कि एक्ट के अनुसार निजी सेक्टर, अस्थाई और संविदा पर काम करने वाले को मातृत्व अवकाश का लाभ के साथ वेतन भी मिलता है। वर्ष 2017 में मातृत्व अवकाश लाभ अधिनियम में अवधि को 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया।
सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अधिनियम की धारा दो और तीन के अनुसार महिला को मातृत्व के लाभ वंचित नहीं किया जा सकता है, चाहे उसकी नियुक्ति संविदा पर या एजेंसी के जरिए ही क्यों नहीं हुई हो। इसके बाद अदालत ने उक्त याचिका को निष्पादित कर दिया।