झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को राजधानी रांची की लचर ट्रैफिक व्यवस्था(सुगम बनाने) पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने ट्रैफिक एसपी पर नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से कहा कि कोर्ट के कई आदेश के बावजूद राजधानी रांची में ट्रैफिक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है। ट्रैफिक व्यवस्था के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है। यह जनहित याचिका 7 साल से चल रही है, लेकिन रांची में जाम की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। कोर्ट ने अवैध ई-रिक्शा और ऑटो रिक्शा के खिलाफ लगातार अभियान चलाने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान ट्रैफिक एसपी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद थे। याचिका पर सुनवाई जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ में हुई।
ट्रैफिक पोस्ट के निकट मॉड्यूलर वॉशरूम की व्यवस्था ः नगर निगम
कोर्ट ने उनसे सड़क के विभिन्न चौराहों पर ट्रैफिक पोस्ट और उनमें वॉशरूम की व्यवस्था के बारे में जानना चाहा। इस पर ट्रैफिक एसपी ने कोर्ट को बताया कि रांची में 60 ट्रैफिक बूथ और 50 ट्रैफिक पोस्ट चिह्नित किए गए हैं। रांची नगर निगम ने बताया कि ट्रैफिक बूथ और पोस्ट के पास मॉड्यूलर वॉशरूम बूथ की व्यवस्था की जाएगी। कोर्ट ने ट्रैफिक एसपी को मौखिक रूप से कहा कि रांची में ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा चालकों का ड्रेस कोड लगातार मेंटेन रहे, यह सुनिश्चित करें। ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रहे, इसके लिए लगातार विशेष अभियान चलाएं। यह भी देखें कि ऑटो या ई-रिक्शा चालक किसी भी परिस्थिति में अपने वाहन में निर्धारित संख्या से अधिक यात्रियों को नहीं बैठाएं।
राजधानी रांची में यातायात में सुधार जमीनी स्तर पर दिखना चाहिए। वीआईपी मूवमेंट के दौरान यातायात व्यवस्था ठीक है, लेकिन आम लोगों के लिए रांची की सड़कों पर चलना काफी मुश्किल है। उन्हें हर दिन जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। अदालत ने राज्य सरकार को यातायात सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी हलफनामे के जरिए देने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को तय की।