Ranchi: हजारीबाग में एनटीपीसी (NTPC) जमीन अधिग्रहण में तीन हजार करोड़ के जमीन मुआवजा घोटाला मामले में ईडी (ED) जांच के लिए तैयार है।
ईडी के सहायक निदेशक देवव्रत झा ने इसको लेकर झारखंड हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया है। जिसमें कहा गया है कि प्रथम दृष्टया मामला जांच के लिए उचित प्रतीत होता है।
इसको लेकर मंटू सोनी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। पूर्व में हाईकोर्ट की ओर से ईडी, सीबीआई और राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया था।
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प्रार्थी को ईडी की ओर से मिले शपथ पत्र में ईडी ने स्वीकार किया है कि एनटीपीसी के भूमि घोटाले की जांच के लिए पूर्व आईएएस देबाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया था।
एनटीपीसी मुआवजा घोटाले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं
लेकिन एसआईटी की जांच को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया है। ईडी ने कहा है कि राजस्व विभाग के अवर सचिव द्वारा सीएमडी, एनटीपीसी 10 अप्रैल 2017 को पकरी बरवाडीह, चट्टी-बरियातु और केरेडारी में एनटीपीसी सीमित परियोजनाओं के लिए सरकारी भूमि के अवैध अधिग्रहण और मुआवजे के वितरण में अनियमितताओं से संबंधित पत्र जारी किया गया था।
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केरेडारी प्रखंड के हल्का कर्मचारी की शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 467, 468, 471, 420, 406 और 120 बी के तहत केरेडारी थाना में प्राथमिकी संख्या 44/2016 दर्ज की गई थी।
जिसमें कुछ सरकारी जमीन (गैर मजरुआ जमीन) पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। ग्राम पांडु, जिला हजारीबाग में सरकारी अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर एनटीपीसी से धोखाधड़ी की गई।
यह उल्लेख करना उचित है कि पीएमएलए के तहत जांच शुरू करने के लिए, यह एक शर्त है कि कानून प्रवर्तन एजेंसी (एलईए) द्वारा पंजीकृत अपराध में पीएमएलए, 2002 की धारा 2 (1) (यू) के तहत परिभाषित अनुसूचित अपराध से अपराध की एफआईआर में उल्लिखित अपराधों में से धारा 467,471, 420 और 120 बी हैं।
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पीएमएलए, 2002 की अनुसूची के भाग ए के तहत अनुसूचित अपराध है तथा इस मामले में प्रारंभिक जांच के लिए आवश्यक कदम शुरू कर दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि एनटीपीसी सहित अन्य परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी गैरमजरूआ खास, गैरमजरूआ आम व सार्वजनिक उपयोग के पंचायत भवन, मैदान, तालाब, श्मशान घाट कब्रिस्तान आदि स्थलों का फर्जी कागजात बनाकर सरकारी अधिकारी-कर्मचारी व एनटीपीसी के अधिकारियों से मिलीभगत कर भूमाफियाओं ने मुआवजा ले लिया था।
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जिसको लेकर सरकार ने एसआईटी गठित किया था लेकिन एसआईटी रिपोर्ट पर अब तक कोई कार्रवाई नही हुई थी। जिसे लेकर मंटू सोनी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।