Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में राज्य में नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटल से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों से पूछा है कि उनके जिले में स्थित नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटल से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण की क्या व्यवस्था है। अदालत ने इसे शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करने का निर्देश सभी जिलों के उपायुक्तों को दिया है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई की तारीख मई माह के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट से समय की मांग की गई।
पूर्व की सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड में अभी 5 जिलों लोहरदगा, रामगढ़, पाकुड़ धनबाद एवं आदित्यपुर में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं। जबकि देवघर में अभी बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को चालू रखने के लिए अनुमति देना था जिसे उसने दे दिया था। मालूम हो कि यह जनहित याचिका झारखंड ह्यूमन राइट कनफेडरेशन की ओर से दाखिल की गई है। प्रार्थी ने याचिका में झारखंड में एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एक्ट के अंतर्गत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल को लागू कराने का अनुरोध किया है। कहा गया है कि राज्य में अस्पतालों क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि जगहों से बायोमेडिकल कचरे का निष्पादन के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत बायो वेस्ट मैनेजमेंट हैंडलिंग रूल का प्रावधान झारखंड में किया जाना चाहिए।