जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत सिन्दुआर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय एवं कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के एन.जी.ओ के सहयोग से डालसा, सभागार में पीएलवी के साथ जिला स्तरीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजेश कुमार सिंह, अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय- 2 ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह कार्यशाला बच्चों के संरक्षण से संबंधित कानून के बारे में आप सभी को जागरूक करने के लिए है, ताकि आप कस्बों, गांवों, सुदुरवर्ती क्षेत्र में जाकर लोगों को जागरूक कर सकें और बच्चों के अधिकारों के बारे में बता सकें।
बच्चों से संबंधित पोक्सो एक्ट-2012 के बारे में एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने विस्तार से बताया। उन्होंने कानूनी प्रवधानों के बारे में तथा पोक्सो एक्ट में कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है और त्वरित कार्रवाई की व्यवस्था है, इसकी जानकारी दी। पीड़ित बच्चों से संबंधित कोई भी पहचान अखबार में प्रकाशन नहीं करना है। आगे कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे-बच्चियों के साथ अगर किसी भी तरह का दुष्कर्म, छेड़छाड़ या बच्चों को इस तरह का कार्य में धकेला जाता है, तो पोक्सो एक्ट में कड़ा प्रवधान है जैसे कि उम्र कैद, आजीवन कारावास की सजा इत्यादि, इसके तहत अभियुक्त को सजा दिलवाया जा सकता है।
सी.डब्ल्यू. सी के सदस्य, विनय कुमार ने अपने संबोधन में बाल विवाह के विरूद्ध विस्तार से जानकारी दी एवं कहा कि नये कानून में सजा के कड़े प्रावधान है। दुर्गा शंकर साहू ने अपने संबोधन में बच्चों से संबंधित वात्सल्य मिशन की विस्तार से जानकारी दी एवं स्पॉनसरर्शीप एवं फॉस्टर केयर के बारे में बतायें। बचपन बचाओं आंदोलन के राज्य समन्वयक, ब्रजेश कुमार मिश्रा ने बाल तस्करी से संबंधित तस्कर के लिए सजाएं एवं जुर्माना के बारे में उपस्थित पीएलवी को बताया। राजेन कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि इस कार्यशाला का आयोजन का मुख्य उद्देश्य संस्था एवं सरकारी तंत्र तथा पारा लिगल भोलेन्टियर के साथ समन्वय स्थापित कर बच्चों को संरक्षित एवं सुरक्षित करने का कार्य किया जाना है। जिसमें आप सभी लोगों के सहयोग की आवश्यकता है।
एस.जी.वी.वी के अरविंद कुमार ने कहा कि बाल श्रम भी कानूनन अपराध है, जिसके तहत 14 वर्ष से नीचे बच्चों से किसी भी प्रकार के प्रतिष्ठान में कार्य नहीं लिया जा सकता है। 14 वर्ष से उपर बच्चों से खतरनाक प्रतिष्ठानों में कार्य नहीं कराया जा सकता है। इसके लिए नये कनून में भी सजा का प्रावधान किया गया है। कार्यशाला के अंत में डालसा सचिव श्री कमलेश बेहरा ने सभी पीएलवी को कस्बों, गांवों एवं सुदुरवर्ती प्रखंड क्षेत्रों में जाकर ग्रमाणों को जागरूक करने को कहा, ताकि गांव के लोग जागरूक होकर बुराई से लड़ सकें एवं बच्चों को सुरक्षित किया जा सके। बच्चों से संबंधित घटना हो तो उस पर अभियुक्त को सजा दिलवाया जा सके।
इस अवसर पर अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय-2, राजेश कुमार सिंह, डालसा सचिव, कमलेश बेहरा, एल.ए.डी.सी.एस. प्रमुख, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, एल.ए.डी.सी.एस. डिप्टी राजेश कुमार सिन्हा, सी.डब्ल्यू.सी. मेम्बर, विनय कुमार, प्रियरंजन, एल.पी.ओ डी.सी.पी.यू., दुर्गा शंकर साहू, बचपन बचाओ आंदोलन के ब्रजेश कुमार मिश्रा, एस.जी.वी.वी. के सचिव, राजेन कुमार, जिला समन्वयक, अरविंद कुमार, डालसा के कार्यरत सभी पीएलवी उपस्थित थे। एकदिवसीय कार्यशाला का उदघाटान दीप प्रज्वलित कर किया गया। स्वागत भाषण, डालसा सचिव कमलेश बेहरा ने दिया।