केजरीवाल की जमानत रद कराने पहुंची ED से दिल्ली हाईकोर्ट का सवाल- क्या CM को फिर से गिरफ्तार करेंगे?
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पूछा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली अर्जी में अब कौन सा पहलू बचा है, जबकि आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में उन्हें पहले ही सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल चुकी है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह अब केवल अकादमिक मुद्दा है। अदालत ने पूछा कि यदि प्रवर्तन निदेशालय की याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो क्या यह एजेंसी मुख्यमंत्री को फिर गिरफ्तार करेगी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने ईडी के वकील से कहा कि आप इसका जवाब दीजिए। यदि पीठ आपकी याचिका मंजूर कर लेती है तो क्या होगा। क्या आप उन्हें फिर गिरफ्तार कर लेंगे।
इस पर ईडी के वकील ने कहा कि गिरफ्तारी का कोई प्रश्न ही नहीं है। किसी ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध नहीं घोषित किया है। पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले में दायर अर्जी इतनी अच्छी तरह तैयार की गई है कि वह भ्रमित हो गई। उन्होंने कहा कि क्या यह जमानत के लिए है या अवैध हिरासत के लिए या क्षतिपूर्ति के लिए। पीठ भ्रमित है। उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को धनशोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी।
धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता के पहलू पर तीन सवालों पर गहन विचार के लिए। इस मामले को एक बड़ी पीठ को भेज दिया था। लेकिन केजरीवाल अब भी जेल में हैं, क्योंकि वह आबकारी घोटाले पर आधारित भ्रष्टाचार के एक मामले की सीबीआई द्वारा जांच के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी के वकील ने शुरुआत में अदालत से स्थगन देने और मामले की सुनवाई गुरुवार को करने का आग्रह किया, क्योंकि मामले पर बहस करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल किसी अन्य अदालत में व्यस्त हैं। इस पर पीठ ने कहा कि गुरुवार को इस मामले को सूचीबद्ध करना संभव नहीं है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि ईडी को इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं है।
पीठ ने कहा कि पिछली बार भी स्थगन मांगा गया था। आप हर समय अदालत से इस तरह अनुरोध नहीं कर सकते, जैसे अदालत के पास कोई और काम ही न हो। आपको अपनी डायरी को उसी हिसाब से समायोजित करना होगा। ऐसा मत सोचिए कि अदालतें आपको बिना सोचे-समझे तारीख दे देंगी।
प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने स्पष्ट किया कि पिछली बार तारीख की मांग जांच एजेंसी की ओर से नहीं, बल्कि आप के वकील की ओर से की गई थी। उन्होंने उच्च न्यायालय से मामले पर बहस के लिए नजदीक की तारीख देने का आग्रह किया था। इस मामले को अब सुनवाई के वास्ते पांच सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।