Court News: झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एके चौधरी की अदालत ने एक आदेश में कहा है कि जब्त वाहनों को पुलिस को थानों में खुले आसमान के नीचे तब तक नहीं रह सकती जब तक जांच के लिए वाहनों की पेशी की जरूरत न हो। इसके साथ ही अदालत ने पुलिस को प्रार्थी का वाहन छोड़ने का निर्देश दिया और कुछ शर्तें भी लगायी।
अदालत ने कहा कि जब तक मामला लंबित है, तब तक याचिकाकर्ता वाहन को न तो बेचेगा, न ही गिरवी रखेगा, न ही उसका स्वामित्व हस्तांतरित करेगा और न ही किसी अन्य को इसे चलाने देगा। मामले के लंबित रहने के दौरान वाहन की पहचान में कोई परिवर्तन या छेड़छाड़ भी नहीं की सकती।
तस्करी में जब्त हुआ वाहन
इस संबंध में अनीता देवी ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि चतरा में डोडा के अवैध तस्करी के मामले में पुलिस ने वाहन जब्त किया था। प्रार्थी ने चतरा सिविल कोर्ट में वाहन मुक्त करने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे निचली अदालत ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया
इसके बाद प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि जब्त वाहन का मूल्य प्रतिदिन घटता जा रहा है क्योंकि इसे पुलिस स्टेशन परिसर में बिना देखभाल के रखा गया है। भविष्य में अदालत या पुलिस द्वारा मांगे जाने पर मोटरसाइकिल पेश कर देंगे।
शर्तों के साथ वाहन छोड़ने का निर्देश
सुनवाई के बाद अदालत ने वाहन शर्तों के साथ मुक्त करने का निर्देश देते हुए आदेश में कहा है कि इस मामले की सुनवाई लंबे समय से चल रही है और निकट भविष्य में इसके समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। वाहन पुलिस स्टेशन में खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है, जिससे दिन-प्रतिदिन इसकी कीमत घटती जा रही है। ऐसी परिस्थितियों में न्यायालय यह समझती है कि निचली अदालत ने विचाराधीन वाहन को छोड़ने की प्रार्थना अस्वीकार कर कानून का पालन नहीं किया है।