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झारखंड में सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, प्रोन्नति पाने वालों को नोटिस जारी

झारखंड हाई कोर्ट ने एक बार फिर से सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति पर रोक लगा दी है। जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत कार्मिक विभाग की ओर से जारी उस आदेश पर रोक लगाते हुए प्रोन्नति नहीं देने का आदेश दिया है, जिसमें रिजर्व कैटेगरी के कर्मियों को सामान्य कैटेगरी में प्रोन्नति देने का आदेश दिया गया था।

इस आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कार्मिक विभाग की ओर से जून 2022 को जारी आदेश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि उक्त आदेश के आधार पर अब किसी प्रकार की कोई प्रोन्नति नहीं दी जाएगी।

हाई कोर्ट ने कहा कि जब पूर्व में एक बार हाई कोर्ट ने उक्त आदेश पर रोक लगा दी थी तो बिना कोर्ट की अनुमति के सरकार किसी को प्रोन्नति नहीं देना चाहिए था। भले ही रोक का आदेश कोर्ट ने बरकरार नहीं रखा हो इसलिए अगले  आदेश तक प्रोन्नति पर रोक रहेगी।

कर्मियों की प्रोन्नति को लेकर कार्मिक ने जारी किया था आदेश

कार्मिक विभाग ने तीन जून 2022 को एक आदेश जारी कर कहा था कि कर्मियों की प्रोन्नति के समय अगर रिजर्व कैटेगरी के सारे पद भर जाते हैं, तो इस कैटेगरी के अन्य कर्मी सामान्य श्रेणी के पद पर प्रोन्नित पाएंगे। उसके बाद सामान्य कैटेगरी को प्रोन्नति मिलेगी।

हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद कार्मिक विभाग के आदेश के तहत प्रोन्नति पाने वाले सभी पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है।

सरकार के इस आदेश के खिलाफ पथ निर्माण विभाग में सहायक अभियंता मुकेश कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अदालत को बताया कि रिजर्व कैटेगरी के पदाधिकारियों को प्रोन्नति का लाभ भी उसी श्रेणी में मिलना है।

लेकिन, कार्मिक विभाग ने तीन जून 2022 को एक आदेश जारी कर कहा था कि रिजर्व कैटेगरी के पदाधिकारी सामान्य कैटेगरी में भी प्रोन्नति पा सकते हैं। इसके लिए कैबिनेट से भी अनुमति नहीं ली गई है। ऐसे में आदेश असंवैधानिक है। आदेश के आलोक में प्रोन्नति देने से सामान्य कैटेगरी के पदाधिकारियों की वरीयता के साथ-साथ प्रोन्नति भी प्रभावित हो रही है।

इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि रिजर्व कैटेगरी के पदाधिकारियों की प्रोन्नति उनकी श्रेणी के रिक्त पद पर दी जाएगी। इसलिए इस आदेश को निरस्त कर देना चाहिए। हाई कोर्ट ने कार्मिक विभाग के पत्र के आधार पर प्रोन्नति देने पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है।

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