रांचीः भाजपा नेता नुपूर शर्मा के विवादित बयान के बाद राज्य में इंटरनेट सेवा बंद किए जाने पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि बिना सूचना सार्वजनिक किए ही इंटरनेट क्यों बंद कर दिया जाता है।
चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने सरकार से पूछा है कि इंटरनेट सेवा बंद करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया गया है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।
इंटरनेट सेवा बंद करने पर जनहित याचिका
इस संबंध में संस्थान सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर इंडिया की ममता वर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि नुपूर शर्मा के बयान के बाद पिछले साल झारखंड सरकार ने कोडरमा, चतरा, गिरिडीह और हजारीबाग में इंटरनेट सेवा अनिश्चितकाल के के लिए बंद कर दी थी।
इंटरनेट सेवा बंद करने के पूर्व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि इंटरनेट सेवा अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं की जा सकती। कुछ समय के लिए इसे बंद किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं हो रहा पालन
इंटरनेट सेवा बंद करने का निर्णय अंतिम हथियार के रूप में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन झारखंड सरकार ने इसका पालन नहीं किया। इंटरनेट सेवा अनिश्चितकाल के लिए बंद करन का आदेश जारी करने के पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विचार नहीं किया।
प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि सूचना के अधिकार के तहत सरकार से यह पूछा गया था कि इंटरनेस सेवा बंद करने के पूर्व सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन किया गया या नहीं, लेकिन सरकार ने इसका जवाब नहीं दिया। इस कारण हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है।