रांचीः झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में छठी जेपीएससी को लेकर सुनवाई जारी है। शुक्रवार को भी इस मामले में सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि सरकार के निर्णय और विज्ञापन की शर्तों के तहत पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) के अंक को मेरिट के अंक में नहीं जोड़ा जाना है।
क्योंकि सरकार की नीति में इसे स्पष्ट करते हुए कहा है कि हिंदीभाषी अथवा जनजाति भाषी क्षेत्रों के अभ्यर्थियों को अंग्रेजी भाषा में कम अंक आने पर भी उनका परिणाम प्रभावित नहीं हो।
झारखंड के अभ्यर्थियों को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया और इसका उद्देश्य था कि अभ्यर्थियों के हिंदी और अंग्रेजी में कार्य के निमित ज्ञान की जांच की जा सके।
अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि जेपीएससी ने पेपर वन में अधिक अंक लाने वाले
अभ्यर्थियों के अंकों को कुल प्राप्तांक में में जोड़ दिया। इसके चलते अंतिम परिणाम प्रभावित हुआ।
उन्होंने कहा कि विज्ञापन की कंडिका 13 में इस शर्त को स्पष्ट किया गया है। इससे संबंधित मामला पूर्व में झारखंड हाई कोर्ट के एकल पीठ के समक्ष लाया गया था।
अदालत ने विज्ञापन की कंडिका 13 में निर्धारित शर्तों के तहत न्यूनतम आहर्तांक विषयवार लागू करने का आदेश दिया था। लेकिन जेपीएससी ने सभी विषयों के अंक को एक साथ जोड़ दिया, जो कि उचित नहीं है।
जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार सिंह ने पक्ष रखा। बता दें कि छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम को रद करने की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं।