झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में राज्य के अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल बायो वेस्ट के निष्पादन को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जानकारी मांगी है।
हाईकोर्ट पूछा है कि राज्य में अभी कितने बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट हैं और किन-किन जिलों में यह काम कर रहा है। इसके अतिरिक्त कितने की जरूरत है और कितना लगाने की योजना है। कोर्ट ने अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल बायो वेस्ट के निष्पादन की प्रक्रिया की बिंदुवार जानकारी भी मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
सुनवाई के दौरान सरकार ने दावा किया कि राज्य के 1633 निजी, सरकारी अस्पतालों और नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल बायो वेस्ट निष्पादित किया जा रहा है। मेडिकल बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के साथ 1633 नर्सिंग होम का करार है, जिससे उनके मेडिकल वेस्ट का प्रतिदिन उठाव किया जाता है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि निजी एवं पब्लिक नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को कंट्रोल करने के लिए क्या तंत्र है और जिलों के सिविल सर्जन की देखरेख में अस्पतालों एवं नर्सिंग होम के मेडिकल वेस्ट का निष्पादन हो रहा है? इसका निरीक्षण समय-समय पर किया जाता है।
सुनवाई के दौरान लोहरदगा में मेडिकल बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट संचालित करने वाले कंपनी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर लिया है। लेकिन कोई नर्सिंग होम मेडिकल वेस्ट उठाव के लिए उनसे संपर्क नहीं करता है। बता दें कि इस संबंध में ह्यूमन राइट्स संस्था की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें बायो मेडिकल बायो वेस्ट के उचित निस्तारण की मांग की गई है।