Ranchi: Assistant Engineer सहायक अभियंता नियुक्ति मामले में विज्ञापन (Advertisement) रद करने के खिलाफ सरकार की अपील पर बहस पूरी होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले 16 जुलाई को राज्य सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई थी।
शुक्रवार को इस मामले में जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान प्रतिवादी रंजीत कुमार साह की ओर से बहस की गई। उनकी ओर से कहा गया कि वर्ष 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का कानून लागू हुआ है।
इसलिए वर्ष 2019 के पहले के रिक्त पदों पर आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में एकलपीठ का आदेश बिल्कुल सही है। इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष खंडपीठ का गठन किया गया है।
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पूर्व में सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि जब भी कोई नया नियम बनता है तो उसे नियुक्ति प्रक्रिया में उसी प्रकार लागू किया जाता है। भले ही वह नियम लागू होने से पूर्व की रिक्तियां हो। इसके अलावा राज्य सरकार को इसका अधिकार है कि पुरानी रिक्तियों को नई नियुक्ति बनाकर उक्त नियम को लागू कर सकती है।
इसी आधार पर राज्य सरकार ने सहायक अभियंता नियुक्ति के विज्ञापन में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस प्रतिशत का आरक्षण दिया था। लेकिन एकल पीठ ने यह कहते हुए विज्ञापन को रद कर दिया था कि जब से नियम लागू होता है, उससे पहले की रिक्त पदों पर उसका लाभ नहीं दिया जा सकता है, जो कि गलत है।
जेपीएससी की ओर से संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने पक्ष रखते हुए कहा कि प्रार्थी ने आवेदन देने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। ऐसे में एकल पीठ में उक्त याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं थी। बता दें कि एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और जेपीएससी ने अपील दाखिल की है।