हाईकोर्ट ने कहा- ‘दुष्कर्म की सुनवाई लंबित होने से न्याय प्रणाली शर्मिंदा’
हाईकोर्ट ने कहा, सात वर्ष बाद भी दोषी न्याय के कटघरे में नहीं, ‘दुष्कर्म की सुनवाई लंबित होने से न्याय प्रणाली शर्मिंदा’
पांच साल की एक बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई पिछले सात साल से लंबित रहने के कारण पूरी न्याय प्रणाली शर्मसार हुई है। मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट ने उक्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 35 (2) एक वर्ष के भीतर मामले की सुनवाई पूरी करने की बात करती है, लेकिन संबंधित सुनवाई अदालत में कई मामले लंबित हैं।
अब तक न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया :
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने उक्त टिप्पणियां यह कहते हुए कीं कि वर्ष 2017 में ही दो आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामले में संज्ञान लिया गया था, लेकिन उन्हें अभी तक न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया है। मामले के आरोपियों में से एक चंदना ने इस आधार पर जिरह के लिए नौ गवाहों को दोबारा बुलाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि सुनवाई अदालत ने उसकी अर्जी खारिज कर दी, जबकि आरोपी के वकील ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर जिरह नहीं की थी।
कोर्ट ने गवाहों से जिरह नौ दिन में पूरी करने को कहा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने तथ्यों पर संज्ञान लेते हुए नौ गवाहों को दोबारा बुलाने की अनुमति दे दी, क्योंकि आरोपी ने उनसे दोबारा जिरह के अधिकार का लाभ नहीं लिया था। अदालत ने साथ ही शर्त लगाई कि इन गवाहों से जिरह नौ दिन में पूरी होनी चाहिए और मुकदमे की सुनवाई जिरह पूरी होने की तारीख से तीन महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।