नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने दहेज प्रताड़ना के आरोपी पति की अग्रिम जमानत यह कहते हुए खारिज कर दी कि बेरहम आदमी रहम के लायक नहीं होते।
इस केस में पति का पक्ष मजबूत था और उम्मीद की जा रही थी कि उसे जमानत मिल जाएगी। हालांकि, सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले में पूरी तरह से महिला के आरोपों का समर्थन किया।
पति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी ने उससे अलग रहते हुए किसी अन्य आदमी को अपनी नग्न तस्वीरें भेजी थीं। इसको लेकर की गई पुलिस शिकायत के बाद जवाब में पत्नी ने उसपर दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाए थे।
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पति के वकील ने कहा कि महिला जब अपने पति से अलग रह रही थी तो उस दौरान उसने दूसरे शख्स के साथ सैकड़ों नग्न तस्वीरें भेजीं। इसके बाद उसने दहेज प्रताड़ना का भी आरोप लगाया जबकि दहेज के तौर पर एक भी रुपया न तो लिया गया था और न ही मांगा गया था।
वकील ने कहा कि महिला का आरोप एक तरफ है। सुप्रीम कोर्ट ने पति की अग्रिम जमानत की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि अगर महिला ने किसी और के साथ नग्न तस्वीरें शेयर की तो आप उन्हें तलाक दे सकते हैं लेकिन आप उनके साथ क्रूर नहीं हो सकते।
कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआईआर में आरोप हमेशा एकतरफा ही होते हैं। ऐसी कोई एफआईआर नहीं होती जिसे आरोपी और शिकायतकर्ता साथ में दर्ज करवाएं।
मामले में अब पति को गिरफ्तार किया जाएगा। हालांकि राजस्थान कोर्ट से आरोपी शख्स के माता-पिता को अग्रिम जमानत मिल गई है।