दिल्ली। कामर्शियल माइनिंग को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। केंद्र सरकार ने 41 कोयला खदानों की कामर्शियल नीलामी का फैसला लिया है जिसमें नौ खदाने झारखंड में है।
याचिका में झारखंड सरकार का कहना है कि दुनिया भर में फैले महामारी के कारण कोयला की कीतमों में गिरावट हुई है। ऐसे में खदानों की नीलामी का उचित मूल्य नहीं मिलेगा। साथ ही कोयला खदानों के व्यावसायिक खनन से राज्य के करीब 60 हजार आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ेगा।
याचिका में केंद्र कॉमर्शियल उपयोग के लिए राज्य में नौ कोयला खदानों की नीलामी के फैसले को चुनौती दी गई है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि कोयला खनन का झारखंड की विशाल आबादी और वन भूमि पर पड़ने वाले सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है।
केंद्र सरकार कोयला खदानों की कामर्शियल नीलामी इसलिए कर रही है ताकि उत्पादन बढ़ने से इसकी बाजार में कीमतें कम हों और कोयला उत्पादन में देश आत्मनिर्भर हो जाए। लेकिन झारखंड सरकार का कहना है कि कामर्शियल नीलामी के चलते यहां बसे आदिवासी लोगों को भारी नुकसान होगा।