सूचना आयोग में नियुक्ति नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- सभी राज्य जल्दी भरें पद नहीं तो होगी कार्रवाई
Ranchi: Information Commission सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में सूचना आयोग में रिक्त पदों को भरने में विफल रहने पर नाराजगी व्यक्त की है जबकि 2019 के फैसले में इस संबंध में त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने अंजलि भारद्वाज के मामले में दिए गए 15 फरवरी, 2019 के फैसले का पालन न करने पर राज्यों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।
पिछले सुनवाई में अदालत ने सभी राज्यों से चार सप्ताह के भीतर लंबित मामलों सहित एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि महाराष्ट्र में 31 मई, 2021 तक राज्य सूचना आयोग के समक्ष ल लगभग 75,000 मामले लंबित थे। मुख्य सूचना आयुक्त सहित चार सूचना आयुक्त वर्तमान में काम कर रहे हैं जबकि स्वीकृत पदों की संख्या आठ है। जबकि फैसले में संख्या 11 तक बढ़ाने का समर्थन किया गया था।
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कर्नाटक में कुल स्वीकृत संख्या एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त हैं। कर्नाटक की ओर से पेश वकील वी एन रघुपति ने कहा कि 10 सूचना आयुक्तों की कुल स्वीकृत संख्या में से सात कार्यरत हैं। सूचना आयुक्तों के तीन रिक्त पदों को भरने के लिए एक विज्ञापन पहले ही जारी किया जा चुका है। शीर्ष अदालत ने मुख्य सूचना आयुक्त से कार्यालय के कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
वहीं ओडिशा राज्य के वकील ने कहा कि फैसले के बाद सूचना आयुक्तों के दो और पद सृजित किए गए हैं। अभी तक चार सूचना आयुक्त कार्यरत हैं और उन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त के पद को भरने के लिए विज्ञापन दिया है। इस पर पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की टिप्पणियों के अनुसार सूचना आयुक्तों के कम से कम तीन और पद सृजित किए जाने चाहिए थे।
तेलंगाना राज्य के वकील ने अपनी ओर से कहा कि मुख्य सूचना आयुक्त का पद पिछले एक साल से खाली है। उन्होंने इस संबंध में निर्देश लेने के लिए समय मांगा। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना आयुक्तों के चार पद भरे गए हैं। अदालत ने उन्हें स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया। इसी तरह, नागालैंड में अदालत को बताया गया कि मुख्य सूचना आयुक्त का पद पिछले छह महीने से खाली था।