CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने किया कॉलेजियम के फैसले के बचाव विक्टोरिया गौरी को जज बनने पर दिया बयान

तमिलनाडु में जस्टिस विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अहम टिप्पणी की है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, वकील के रूप में उनके विचारों के आधार पर किसी व्यक्ति को ‘पक्षपाती’ नहीं मानना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अधिवक्ता लक्ष्मना चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। बता दें कि विक्टोरिया को भाजपा का करीबी बताकर विवाद पैदा करने का प्रयास हो रहा है।

इसी बीच कॉलेजियम के फैसले का बचाव करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जिस भाषण को लेकर विक्टोरिया को विवादों में घसीटने का प्रयास हो रहा है, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायाधीश के कथित भाषण की प्रकृति को “बहुत ध्यान से” देखा। कॉलेजियम ने केंद्र सहित सभी हितधारकों के साथ प्रतिक्रिया साझा की।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, किसी को केवल उनके विचारों के आधार पर किसी व्यक्ति को “निष्पक्ष रूप से बुलाना” (cold calling) नहीं चाहिए। बता दें कि विक्टोरिया मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के समक्ष केंद्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। ऐसी वकील को पदोन्नत करने का प्रस्ताव भाजपा से जुड़े होने के आरोपों के बाद विवादों में घिर गया है।

उच्च न्यायालय के कुछ बार सदस्यों ने सीजेआई को पत्र लिखकर गौरी को अदालत के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश को वापस लेने की मांग की थी। वकीलों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए थे।

हार्वर्ड लॉ स्कूल के कार्यक्रम में बोले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

कानूनी पेशे से जुड़े पहलुओं पर हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिन प्रक्रियाओं का हम पालन करते हैं उनमें से एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगना है। हम संबंधित शख्स के बारे में जानकारी जुटाने के बाद फीडबैक लेते हैं। संबंधित सूचना और फीडबैक सरकार के साथ साझा करते हैं।

उन्होंने कहा, “न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया एक काफी जटिल प्रक्रिया है। इसमें संघीय प्रणाली की विभिन्न परतें शामिल हैं। सरकार के अलावा खुफिया ब्यूरो और केंद्रीय जांच एजेंसियों के इनपुट भी लिए जाते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ के अनुसार, नियुक्ति एक व्यापक आधार वाली सहयोगात्मक प्रक्रिया है, जहां निर्णायक भूमिका निभाने के लिए किसी एक के पास कोई अधिकार नहीं है।

राजनीतिक दृष्टिकोण वाले महान न्यायाधीश: डीवाई चंद्रचूड़

विक्टोरिया गौरी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जो वकील विभिन्न राजनीतिक दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे अद्भुत न्यायाधीश बनते हैं। न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर को देश के सबसे महान न्यायाधीशों में से एक बताते हुए चंद्रचूड़ ने कहा, उन्होंने कुछ बेहतरीन फैसले दिए। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि का न्यायिक फैसलों पर असर नहीं पड़ा।

डीवाई चंद्रचूड़ के अनुसार, मेरा अपना अनुभव यह रहा है कि जो न्यायाधीश विभिन्न राजनीतिक विचारों के विभिन्न वर्गों के लिए पेश होते हैं, वे अद्भुत न्यायाधीश बनते हैं। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि हमें किसी व्यक्ति को केवल विचारों आधार पर बुलाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।

चीफ जस्टिस ने कहा, हो सकता है कि उन्होंने वकील के रूप में किसी दल के साथ काम किया हो, लेकिन उन्हें विश्वास है कि न्याय करने के उनके पेशे में कुछ तो है। बकौल डीवाई चंद्रचूड़, “एक बार जब आप न्यायिक पद ग्रहण कर लेते हैं तो यह आपको निष्पक्ष बनाता है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वकील अपने करियर के दौरान विभिन्न वर्गों के मुवक्किलों की ओर से पेश होते हैं। वकील अपने ग्राहकों को नहीं चुनते हैं। वास्तव में, यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक वकील के रूप में, जो कोई भी कानूनी सहायता की तलाश में आपके पास आता है, उसके लिए उपस्थित होना आपका कर्तव्य है, ठीक उसी तरह जैसे एक डॉक्टर को चिकित्सा सहायता प्रदान करनी होती है।

चंद्रचूड़ ने कार्यक्रम के दौरान कानून की पढ़ाई कर रहे छात्र के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “जो कोई भी उनके क्लिनिक में आता है। आप अपने पास आने वाले लोगों के अपराध या उसके निर्दोष होने का अनुमान नहीं लगाते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट ने गौरी की शपथ लेने से रोकने से किया था इन्कार

बता दें कि शीर्ष अदालत ने पहले गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की तरफ से उनके नाम की सिफारिश करने से पहले एक “परामर्शी प्रक्रिया” हुई थी।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। यदि वह शपथ लेने के मुताबिक अपने पद के प्रति सच्ची निष्ठा से कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करती हैं, तब कॉलेजियम उस पर विचार करने का हकदार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों को स्थायी न्यायाधीश नहीं बनाया गया है।

यह भी दिलचस्प है कि शीर्ष अदालत ने गौरी की नियुक्ति के खिलाफ याचिकाएं खारिज की, उससे कुछ मिनट पहले, उन्हें 7 फरवरी को मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने शपथ दिलाई थी। विक्टोरिया गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई गई थी।

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