रांचीः हेडमास्टर के पद प्रोन्नति के मामले में सीधी भर्ती से नियुक्त शिक्षकों को बड़ी राहत, एकल पीठ के आदेश निरस्त
रांचीः झारखंड हाईकोर्ट से मध्य विद्यालयों में ग्रेड सात (हेडमास्टर) के पद प्रोन्नति के मामले में सीधी भर्ती से नियुक्ति हुए शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें प्रोन्नति से ग्रेड चार में पहुंचे शिक्षकों को ग्रेड सात में प्रोन्नति देने का आदेश दिया था। एकल पीठ ने कहा था कि प्रोन्नति से ग्रेड चार में आने वाले शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 1991 में हुई है। काफी समय से काम कर रहे हैं। इसलिए इनको पहले प्रोन्नति दी जा सकती है। खंडपीठ ने सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति देने का आदेश जारी किया गया था। खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सीधी भर्ती के जरिए शिक्षकों ने ग्रेड चार में पहले योगदान दिया है तो उनकी वरीयता को नजरअंदाज करते हुए प्रोन्नति नहीं दी जा सकती है।
किसी ग्रेड में दिए गए वास्तविक योगदान ही वरीयता निर्धारण का मानक होना चाहिए। विभाग भूतलक्षी प्रोन्नति दे सकती है, पर तब जब सीधी भर्ती से नियुक्त शिक्षकों की वरीयता प्रभावित न होती हो। अदालत ने विभाग को निर्देश दिया गया है कि फिर से नीतिगत निर्णय लेते हुए सभी जिलों में नए सिरे से प्रोन्नति की वरीयता सूची का प्रकाशन किया जाए। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता भानु कुमार, अधिवक्ता भारती कुमारी पक्ष रखा। वर्तमान राज्य के मध्य विद्यालयों में स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक (ग्रेड चार) में दो कोटि के शिक्षक कार्यरत हैं। एक जो सीधी भर्ती से नियुक्त हुए हैं।
वहीं, प्रोन्नति के माध्यम से इन पदों पर नियुक्त हुए शिक्षक हैं। सीधी भर्ती वाले शिक्षकों की नियुक्ति इस पद पर पहले हुई और बाद में प्रोन्नति से इन पदों को भरा गया था। इसलिए वरीयता निर्धारण को लेकर पेंच फंसा था। विभाग ने वर्ष 2021 में एक आदेश जारी कर किसी भी ग्रेड में भूतलक्षी प्रोन्नति दिए जाने का प्रस्ताव दिया। इस आदेश में सीधी भर्ती से नियुक्त शिक्षकों की वरीयता को लेकर कोई बात नहीं कही गई। इस पर झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।