रांचीः हेमंत सरकार की ओर से राज्य के अधिवक्ताओं को दी जानेवाली सौगात पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं की मजबूरी पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सरकार ने उनके बारे में सोचा और कुछ पहल की है। इसकी वह सराहना करते हैं, लेकिन वकीलों के लिए स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और प्रोत्साहन राशि देने की योजना बनाने से पहले बार काउंसिल से विचार विमर्श करना चाहिए था। सरकार की ओर से वकीलों को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ने की योजना में त्रुटि है। इस योजना का लाभ उन्हीं वकीलों को मिलेगा जो ट्रस्टी कमेटी के सदस्य होंगे। जिनकी संख्या करीब 15 हजार है। जबकि राज्य में अधिवक्ताओं की संख्या 33 हजार है। उन्होंने कहा कि वकीलों की कल्याण की योजना बनाना बार काउंसिल का काम है। ट्रस्टी कमेटी सिर्फ वित्तीय प्रबंधन और उसका क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है।
ऐसे ही नए अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन राशि को एक हजार से बढ़ाकर पांच हजार कर दिया गया है। लेकिन इसकी आधी राशि ट्रस्टी कमेटी को देनी होगी। तब आधी राशि सरकार देगी। अगर कमेटी के पास पैसे नहीं होंगे, तो उक्त राशि नए अधिवक्ताओं को नहीं मिल पाएगी। राजेंद्र कृष्णा शनिवार को बार काउंसिल ऑफिस में शनिवार को कैबिनेट में लगी मुहर पर विशेष रूप से अपनी बात करने के लिए प्रेस वार्ता बुलाया था। उसी को संबोधित कर रहे थे। मौके पर बार काउंसिल के सदस्य संजय कुमार विद्रोही भी मौजूद थे। राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि अभी बार काउंसिल की ओर से राज्य के अधिवक्ताओं को सात हजार रुपये पेंशन दी जाती है।
सरकार ने अपनी ओर से इसे बढ़ाकर 14 हजार रुपये कर दिया गया है। लेकिन यह मात्र इसी वित्तीय वर्ष के लिए है। बाद में यह राशि घटकर सात हजार रुपये हो जाएगी। ऐसे में सरकार को हर साल के लिए ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रस्टी कमेटी के पास पैसे ही नहीं है। जिसकी वजह से करीब 200 लोगों का डेथ क्लेम नहीं दिया गया है। ऐसे में पेंशन और प्रोत्साहन राशि कैसे दी जाएगी। राज्य के करीब 18 हजार अधिवक्ताओं का स्वास्थ्य बीमा नहीं हो पाने की स्थिति में विरोध होने की संभावना है। सरकार को इन मामलों में बार काउंसिल की आपत्तियों को सुनकर योजनाओं में संशोधन करना चाहिए।