Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की पीठ में राज्य के विश्वविद्यालयों में अल्पकालिक शिक्षक नियुक्ति करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद पीठ ने विश्वविद्यालयों की ओर से स्पष्ट जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किए जाने पर नाराजगी जताते हुए राज्य के सात विवि के कुलपति और रजिस्ट्रार को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। इस दौरान पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार और विश्वविद्यालय के असहयोगात्मक व्यवहार के कारण राज्य से गुणवान शिक्षकों और छात्रों का पलायन हो रहा है। राज्य में अल्पकालिक और घंटी आधारित शिक्षकों की व्यवस्था लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता है।
इससे विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। इस संबंध में प्रिंसिला सोरेन सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और तान्या सिंह ने पीठ को बताया कि पीठ ने मई 2023 में आदेश दिया था कि सरकार को सभी विवि में शैक्षणिक पद नियमित तौर पर भरने की आवश्यकता है। लगभग डेढ़ साल बाद भी विश्वविद्यालयों में नियमित नियुक्ति नहीं की गई है। जेपीएससी ने पीठ को बताया कि वर्ष 2018 में कुछ बैकलाग नियुक्ति के लिए अधियाचना भेजी गई थी। इसके बाद अक्टूबर 2023 में लगभग दो हजार से अधिक नियुक्ति की अधियाचना भेजी गई है। जिस पर प्रक्रिया की जानी है।
पीठ को बताया कि अल्पकालिक और घंटी आधारित शिक्षकों के जरिए शिक्षा व्यवस्था चलाए जाने की वजह से शोषण किया जा रहा है। यह विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर प्रभाव डाल रहा है। उनकी ओर से जानकारी देते हुए कहा कि यहां पर 28 हजार छात्रों ने नामांकन लिया है। लेकिन सरकार इस विषय की ओर से ध्यान नहीं दे रही है। सरकार ने शिक्षक और छात्रों के अनुपात का भी ध्यान नहीं दिया है।