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अदालती कार्यवाही से तंग आकर समझौता कर लेते हैं लोग, CJI चंद्रचूड़ ने ही खोल दी सिस्टम की पोल

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग अदालती कार्यवाही से इतने त्रस्त हो चुके हैं कि वे किसी तरह बस समझौता चाहते हैं। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया वादियों के लिए एक सजा हो गई है। लोग इससे छुटकारा पाने के लिए अक्सर कम समझौते को भी स्वीकार कर लेते हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने लोक अदालतों की भूमिका और महत्व पर प्रकाश डालते हुए ‌कहा कि यह (लोक अदालत) एक ऐसा मंच हैं, जहां अदालतों में या मुकदमेबाजी से पहले लंबित विवादों और मामलों का सौहार्द्रपूर्ण ढंग से समझौता किया जाता है। उन्होंने कहा कि आपसी सहमति से हुए समझौते के खिलाफ कोई अपील भी दाखिल नहीं की जा सकती।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित ‘विशेष लोक अदालत’ के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। 29 जुलाई से 3 अगस्त तक चले इस विशेष लोक अदालत के समापन के मौके पर उन्होंने कहा कि अदालती कार्यवाही से लोग इतना परेशान हो जाते हैं कि वे अदालती ‌मामलों से कोई भी समझौता चाहते हैं, जज के रूप में यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है।

लोक अदालत को संस्थागत बनाने की जरूरत

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘लोक अदालतों के माध्यम से न्याय देने की प्रक्रिया को संस्थागत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन्हें हर स्तर पर लोक अदालत की स्थापना में बार और बेंच (वकीलों और जजों) सहित सभी से समर्थन मिला। सीजेआई ने अपने संबोधन में कहा कि जब विशेष लोक अदालत के लिए उन्होंने पैनल गठित किए गए थे, तो यह सुनिश्चित किया गया था कि प्रत्येक पैनल में दो न्यायाधीश और दो वकील होंगे।

उन्होंने कहा कि ‘ऐसा करने के पीछे उनका मकसद अधिवक्ताओं को संस्था पर स्वामित्व देना था क्योंकि यह ऐसी संस्था नहीं है जिसे केवल न्यायाधीश चलाते हैं। उन्होंने कहा कि यह जजों के लिए, जजों द्वारा जजों की संस्था नहीं है। इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश, बार एसोसिएशन के अधिकारी शामिल हुए।

यह दिल्ली का नहीं, देश का सुप्रीम कोर्ट है : सीजेआई
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भले ही दिल्ली में हो, लेकिन यह दिल्ली का सुप्रीम कोर्ट नहीं है। यह भारत का सुप्रीम कोर्ट है। उन्होंने कहा कि जब से मैंने मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला है, हमने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में पूरे देश से अधिकारियों को लाने का प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट मुताबिक विशेष लोक अदालत के लिए 14,045 मामले चिह्नित हुए और लोक अदालत पीठों के समक्ष 4,883 मामले सूचीबद्ध किए गए और इनमें से 920 मामलों का निपटारा किया गया।

अमेरिका से अलग है भारतीय सुप्रीम कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के पीछे का मकसद यह नहीं था कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर 180 संवैधानिक मामलों का ही निपटारा करें । इसका मकसद था कि लोगों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना यानी ‘न्याय सबके द्वार’। उन्होंने यह भी कहा कि लोक अदालत का उद्देश्य भी लोगों के घरों तक न्याय पहुंचाना और लोगों को यह सुनिश्चित करना है कि हम उनके जीवन में निरंतर मौजूद हैं।

मध्यस्थता भारतीय संस्कृति का हिस्सा : कानून मंत्री मेघवाल

सुप्रीम कोर्ट में आयोजित समारोह में शामिल केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ‘मध्यस्थता भारतीय संस्कृति का हिस्सा है।’ उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच मध्यस्थता करने का प्रयास किया था। कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि आत्मनिरीक्षण करने की शक्ति विवादों को सुलझाने में मदद करती है। वैवाहिक विवादों को निपटाने में लोक अदालतों की भूमिका की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले जो काम परिवार के बुजुर्ग करते थे, अब वह वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्था द्वारा किया जा रहा है।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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