Loan Fraud: सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने 16 साल पुराने बैंक लोन घोटाले के आरोपी आरोपी सतीश कुमार साहू को धोखाधड़ी जालसाजी समेत अन्य आरोप में दोषी पाकर 5 साल कैद की सजा एवं 5 लाख रुपया जुर्माना लगाया है । जुर्माने की राशि नहीं देने पर 3 महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।
अभियुक्त मामला दर्ज होने के बाद फरार चल रहा था। किसी अन्य मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद था। सीबीआई को जानकारी मिलने के बाद आरोपी को प्रोडक्शन वारंट किया गया ।फिर उसको रांची लाया गया। कोर्ट में आरोपी ने उपस्थित होकर अपना जुर्म कबूल किया। अदालत में बुधवार को सजा सुनाई। सीबीआई ने साल 2008 में एक करोड़ बैंक ऑफ बड़ोदा रांची ब्रांच में हुई धोखाधड़ी के मामले में प्राथमिक की दर्ज कर जांच प्रारंभ की थी।
2.81 एकड़ जमीन के आधार पर लिया लोन
बैंक ने आरोप लगाया गया था कि फर्म के भागीदार संतोष साहू ने होम स्टेड भूमि के दो टुकड़ों के संबंध में दो भूमि विलेख जमा किए, जिनमें से एक प्लॉट नंबर है। 1937 से 1940 तक सिमलिया गांव में स्थित है और इस डीड में 83 डिसमिल जमीन दिखाई गई है, जबकि दूसरे डीड में ग्राम झिरी में 0.25 एकड़ जमीन दिखाई गई है और गारंटरों की ओर से जमा किए गए जमीन डीड में ग्राम अधचोरी, रातू, रांची में 2.81 एकड़ जमीन दिखाई गई है।
यह भी आरोप लगाया गया है कि जब ऋण चिपचिपा हो गया, तो बैंक ने भूमि संपत्ति का सत्यापन किया और उस प्रक्रिया में यह पता चला कि ये भूमि संपत्ति ऋण लेने वाले या गारंटरों की नहीं है और 0.81 एकड़ भूमि को 2.81 एकड़ के रूप में पढ़ने के लिए हेरफेर किया गया है और बैंक को जाली प्रतिभूतियों के आधार पर ऋण स्वीकृत करने के लिए प्रेरित करके धोखा दिया गया है।
बैंक मैनेजर के साथ रची साजिश
इस प्रकार, आरोपी सुधीर लाकड़ा, तत्कालीन प्रबंधक ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ आपराधिक साजिश रचकर, जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर और लोक सेवक के रूप में अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग करके रुपये का ऋण स्वीकृत किया। बैंक ऑफ बड़ौदा, मेन रोड ब्रांच, रांची से 1 करोड़ रुपये (सावधि ऋण के रूप में 25 लाख रुपये और कैश क्रेडिट के रूप में 75 लाख रुपये) और बैंक को धोखा दिया और इस ऋण के अनुरूप रु। बैंक का 88,30,645/- बकाया था।
सीबीआई की जांच पूरी होने के बाद आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला सही पाया गया और आरोप पत्र संख्या. 4/2010 दिनांक 21.5.2010 आईपीसी की धारा 120बी आर/डब्ल्यू 420, 471 और पी.सी. की धारा 13(2) आर/डब्ल्यू 13(1) (डी) के तहत अपराधों के लिए। अधिनियम, 1988 प्रस्तुत किया गया है। इसके बाद अदालत ने सजा सुनाई है।