रांची। झारखंड राज्य आवास बोर्ड के पूर्व एमडी विरेंद्र राम की पत्नी प्रसन्ना नारायण को हाउसिंग बोर्ड की ओर से आवंटित भूखंड को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका की झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने प्रसन्ना नारायण की याचिका को खारिज कर दिया।
अदालत ने झारखंड आवास बोर्ड की ओर से प्रसन्ना नारायण को आवंटित भूखंड रद्द करने के आदेश को सही ठहराते हुए इसमें हस्तक्षेप करने के इन्कार कर दिया। सुनवाई के दौरान आवास बोर्ड की ओर अदालत को बताया कि आवास बोर्ड के पूर्व एमडी विरेंद्र राम ने अपनी पत्नी के नाम पर अरगोड़ा में पांच हजार वर्ग फीट का प्लाट आवंटित कर दिया था।
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बाद में आवास बोर्ड के दूसरे एमडी ने इस आवंटन को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह कट प्लाट में नहीं आता है। यह बड़ा भूखंड है। कट प्लाट के नाम पर इसका आवंटन गलत था। यह भी बताया गया कि विरेंद्र राम की पत्नी प्रसन्ना नारायण को पहले से ही हाउसिंग बोर्ड का बना बनाया एक आवास आवंटित था।
प्रार्थी की ओर से कहा गया कि उसको आवंटित किए गए भूखंड के आवंटन को रद्द करना गलत है, क्योंकि उस भूखंड का निबंधन हो चुका है और उसका कब्जा भी दे दिया गया है। निबंधन के बाद आवंटन रद्द नहीं किया जा सकता है। बता दें कि प्रसन्ना नारायण ने आवास बोर्ड के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।