हाईकोर्ट ने कहा- स्टेनो एएसआई को पुलिस मैनुअल के तहत मिले वरीयता, डीजीपी का आदेश निरस्त

रांचीः झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने स्टेनो एएसआई के वरीयता जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए डीजीपी के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसके तहत सभी को वर्ष 2011 से वरीय माना गया था।

अदालत ने इस मामले में प्रार्थियों को डीजीपी के यहां दो सप्ताह में आवेदन देने का निर्देश दिया है। वही, डीजीपी को हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में इनके आवेदन पर चार सप्ताह में उचित आदेश पारित करने का आदेश दिया है।

इस मामले में पूर्व में सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। शुक्रवार को अदालत ने डीजीपी के आदेश को खारिज कर दिया। इसको लेकर शंभू प्रसाद व अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

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अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने बताया कि तत्कालीन डीजीपी ने स्टेनो एएसआई की वर्ष 2011 से वरीयता मानने का आदेश दिया था। ऐसा करने से सभी स्टेनो एएसआई वरीयता समान हो गई थी और उनकी प्रोन्नति में भी परेशानी हो रही थी।

क्योंकि स्टेनो एएसआई पद पर कई लोग वर्ष 1980-90 में नियुक्त हुए थे। पुलिस मैनुअल के नियमानुसार स्टेनो एएसआई की सेवा के पांच साल बाद ही उन्हें जनरल कैडर में लाना था। लेकिन वर्ष 2011 से सभी को जनरल कैडर में मानते हुए वरीयता सूची तैयार की गई।

डीजीपी के उक्त आदेश को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले में पहले ही सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी हो गई थी। शुक्रवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए डीजीपी के उक्त आदेश को खारिज कर दिया।

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