Ranchi: राज्य में खाद्य सुरक्षा पदाधिकारियों (फूड सेफ्टी) की नियुक्ति में हो रहे विलंब पर झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सरकार ने कहा कि राज्य में फूड सेफ्टी का पद पांच साल से रिक्त हैं। इस कारण मिलावटी पदार्थों की जांच नहीं हो पा रही है। लोग मिलावटी पदार्थ खाकर बीमार भी हो रहे हैं।
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अदालत ने सरकार को फूड सेफ्टी नियुक्ति प्रक्रिया की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 22 सितंबर निर्धारित की। सुनवाई के दौरान न्याय मित्र पीयुष पोद्दार ने अदालत को बताया कि राज्य के 24 जिलों में मात्र रांची के नामकुम में फूड लैब है।
फूड सेफ्टी सहित अन्य पद भी रिक्त
यह भी पूर्ण रूप से संचालित नहीं है। इसमें फूड टेस्टिंग कर्मी का पद भी रिक्त है। फूड सैंपल कलेक्शन के लिए दो मोबाइल यूनिट है, लेकिन इसमें फूड टेस्टिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
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राज्य के दूसरे जिलों से फूड सैंपल नामकुम लैब आते-आते सैंपल खराब हो सकता है। सरकार की ओर से बताया गया कि फूड सेफ्टी अफसरों की नियुक्ति हुई है और कुछ की नियुक्ति प्रक्रिया जीपीएससी के माध्यम से चल रही है, जिसे जल्द पूरी कर ली जाएगी। सेफ्टी ऑफिसर एवं अन्य के 56 रिक्त पदों के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी गई है।
कैदियों को मामले में मांगी रिपोर्ट
हजारीबाग जेल के 38 कैदियों के मामले पर हा ईकोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत से चार सप्ताह का समय जवाब दाखिल करने के लिए मांगा।
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चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सरकार से यह बताने को कहा है कि इन कैदियों की रिहाई का प्रस्ताव सजा पुनरीक्षण बोर्ड में भेजने पर क्या निर्णय लिया गया है।
स्वत: संज्ञान लिए मामले की सुनावई करते हुए अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है। हजारीबाग जेल के 38 कैदियों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर कहा है कि वह लंबे समय से जेल में है।
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जेल में उनका आचरण भी अच्छा रहा है। सरकार उन्हें समय पूर्व रिहा करने पर विचार करे और उनके मामले को सजा पुनरीक्षण बोर्ड में रखे। इस पत्र को जनहित याचिका में तब्दील कर अदालत सुनवाई कर रहा है।