High Court’s strong comment: राजधानी रांची निवासी कब तक जल और वायु प्रदूषण का झेलते रहेंगे संकट
निर्धारित 26 जून को तीन आईएएस अधिकारियों को कोर्ट में मौजूद रहने का निर्देश
High Court’s strong comment: झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को जस्टिस आर मुखोपाध्याय एवं जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में बड़ा तालाब के जल प्रदूषण व डैम से दूषित जल आपूर्ति से जुड़े स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित पेयजल, नगर निगम के वरीय अधिकारियों से कहा कि रांची के लोग कब तक जल, वायु प्रदूषण व पेयजल का संकट झेलते रहेंगे। ऐसा लगता है कि राज्य में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नाम की कोई संस्था ही नहीं है। रांची में जल स्रोतों के संरक्षण को लेकर पिछले 13 साल से (वर्ष 2011) से जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान सरकार कई हलफनामे दाखिल कर राजधानीवासियों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने व गर्मी जैसे मौसम में पानी की कमी नहीं होने का दावा करती रही है। लेकिन यह दावा हर साल फेल हो जाता है। रांची में पेयजल समस्या से निपटने के लिए सरकार को दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है।
कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि कई राज्यों में जल स्रोतों को सालों तक बेहतर रखा जाता है। लेकिन रांची में बड़ा तालाब, कांके डैम जैसे जल स्रोतों की सफाई का दावा तो किया जाता है, लेकिन हर छह माह बाद फिर से पानी में गंदगी की समस्या देखने को मिलती है। ऐसे में विशेषज्ञों से सलाह लेकर रांची के बड़ा तालाब समेत अन्य जल स्रोतों के पानी को सालों भर शुद्ध रखने की पहल की जानी चाहिए। अदालत ने सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव को पेयजल समस्या के समाधान के लिए दीर्घकालिक योजना पर ध्यान देने का निर्देश दिया।
अदालत ने नगर विकास विभाग के सचिव को भी अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। इसके अलावा रांची नगर निगम के प्रशासक को भी उस दिन पुनः उपस्थित रहने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, रांची नगर निगम और नगर विकास विभाग के आपसी समन्वय से ही रांची शहर में जल व वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जैसी समस्याओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई की तिथि 26 जून निर्धारित की है। इससे पूर्व अदालत के आदेश के आलोक में रांची नगर निगम के प्रशासक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए।
अदालत ने उनसे कहा कि मानसून आने वाला है, राजधानी में बारिश होने पर नाले का गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है, ऐसे में नालों की सफाई कराएं और उन्हें दुरुस्त रखें, ताकि गंदा पानी सड़क पर न आए। गुरुवार को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव भी व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित थे। अदालत ने उन्हें लालपुर स्थित अप्सरा होटल के पीछे न्यू कॉलोनी में गंदे पानी की आपूर्ति की जानकारी दी और इसे तत्काल ठीक करने का आदेश दिया।
इस पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि नलों में पेयजल के साथ सीवरेज का गंदा पानी आ रहा है, जिसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग में रांची नगर निगम के प्रतिनिधि के रूप में शामिल तीन इंजीनियर भी उपस्थित हुए। अदालत ने उन्हें अधिवक्ताओं की कमेटी की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया और अधिवक्ताओं की कमेटी को मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की रिपोर्ट जल्द सौंपने का निर्देश दिया। उक्त मामले की सुनवाई लगातार तीन दिनों तक चली है। जिसमें हाईकोर्ट का राज्य के अधिकारियों के कार्यशैली पर नाराजगी जताई।