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विधायक लोबिन हेंब्रम की सदस्यता समाप्त पर हाईकोर्ट का रोक लगाने से इनकार

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झामुमो से निष्कासित विधायक लोबिन हेंब्रम की सदस्यता समाप्त किए जाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार किया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरूण कुमार राय की अदालत ने इस मामले में स्पीकर कोर्ट में सुनवाई से जुड़े सभी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बादो होगी।
बोरियो के निवर्तमान विधायक लोबिन हेंब्रम ने 25 जुलाई को विधानसभा के स्पीकर कोर्ट द्वारा उनकी सदस्यता रद्द करने के फैसले को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने याचिका में कहा है कि स्पीकर ने विशेष दबाव में आकर यह फैसला लिया है।

यह बोरियो की जनता के साथ विश्वास घात करने जैसा है। याचिका में कहा गया है कि मानसून सत्र की घोषणा पहले हो चुकी थी और उसे सत्र में लोबिन अपने क्षेत्र से जुड़े दो सवालों को पटल पर रखने वाले थे, जिसकी अनुमति भी स्पीकर से प्राप्त हो चुकी थी। उसका जवाब भी आना था, लेकिन अचानक स्पीकर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर करने का फैसला सुना दिया। स्पीकर कोर्ट का फैसला पूरी तरह असंवैधानिक है, क्योंकि एक ही पार्टी के दो सदस्यों के एक ही कृत्य को लेकर अलग-अलग रवैया अपनाया जा रहा है। उन्होंने विधायक चमरा लिंडा का उदाहरण देते हुए कहा कि चमरा लिंडा ने भी पार्टी के आदेश की अवहेलना करते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोबिन हेंब्रम ने पार्टी से निष्कासित किये जाने मामले को भी अपनी याचिका में उठाया है। उन्होंने कहा है कि पार्टी से निष्कासित करने के लिए केंद्रीय कमेटी की सहमति का होना जरूरी है। लेकिन पार्टी संविधान को दरकिनार कर उन्हें पार्टी से निकाला गया जो न्याय संगत नहीं है।

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