आक्रोश रैली के जाम में फंसे हाईकोर्ट जज ने लिया स्वत: संज्ञान, डीजीपी ने कहा दोबारा ऐसी घटना नहीं होगी
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने भाजपा के आक्रोश रैली के दौरान जाम में फंसे रहने पर स्वत: संज्ञान लिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जब हाईकोर्ट का जज सीएम आवास के सामने जाम में फंसे रहे और उन्हें निर्धारित स्थल पहुंचने में कई घंटे लगे, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी, यह समझा जा सकता है। ऐसे में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है, यह गंभीर मामला है। प्रतीत होता है कि सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ राजनीतिज्ञ एवं मंत्रियों के लिए है। जब हाई कोर्ट का एक जज सुरक्षित नहीं है तो दूसरे अन्य कोर्ट के भी जज सुरक्षित नहीं है।
अदालत ने स्वतः संज्ञान को एक्टिंग चीफ जस्टिस के पास विस्तृत सुनवाई के लिए भेज दिया। सुनवाई के दौरान डीजीपी, रांची डीसी, एसएसपी और ट्रैफिक एसपी अदालत में हाजिर हुए। इस दौरान डीजीपी की ओर से अदालत को बताया गया कि दोबारा ऐसी घटना नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था में कुछ चूक हुई है। कोर्ट ने उनसे कहा कि जब रांची शहर में धरना-प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम होते है तो हजारों लोगों को राजधानी में प्रवेश के लिए कैसे अनुमति दी जाती है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि 23 अगस्त को हाईकोर्ट से वापस लौटने के दौरान सीएम आवास कांके रोड के समक्ष जाम के कारण उन्हें रुकना पड़ा।
इस दौरान उनके पीएसओ ने ट्रैफिक एसपी सहित कई वरीय पुलिस अधिकारियों से मोबाइल से संपर्क करने का बार-बार प्रयास किया, लेकिन किसी ने मोबाइल नहीं उठाया। इस दौरान उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से संपर्क किया। जिसके बाद उन्होंने डीजीपी से बात की। डीजीपी के दिशा-निर्देश के बाद उन्हें जाम से निकाला गया। इस दौरान जाम में वे करीब आधा घंटा से अधिक समय तक फंसे रहे। अदालत ने कहा प्रतीत होता है की साजिश के तहत उन्हें रोका गया। कांके रोड में कोई धरना-प्रदर्शन नहीं था। इसके बावजूद भी वहां 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात थे।