Ranchi: Encroachment रांची के डोरंडा स्थित हिनू नदी के किनारे हुए अतिक्रमण को लेकर दाखिल याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई कि जब अतिक्रमण की गई चारदिवारी को तोड़ दिया गया था तो तत्काल उसे कैसे जोड़ दिया गया।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजीव कुमार ने हाईकोर्ट को इसकी जानकारी दी। इसके बाद चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने सरकार से पूरी जानकारी मांगी है। अदालत ने पूछा है कि उक्त जमीन किसकी है और वर्तमान में उस पर किसका कब्जा है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार का शपथ पत्र देखने के बाद कहा कि हिनू नदी के किनारे प्लाट नंबर 442 और 443 किसका है। सरकार की ओर से कहा गया कि उक्त जमीन रैयती है और नंदा उरांव की जमीन है। कोर्ट ने पूछा कि इस पर किसका कब्जा है।
इस मामले में रांची नगर निगम की ओर से पिछले दिनों उक्त जमीन की 15 मीटर तक चारदिवारी को तोड़ दिया गया। कहा गया था कि उक्त चारदिवारी हिनू नदी की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया गया है। लेकिन कहा गया कि तोड़ने के कुछ घंटो बाद ही चार दिवारी दोबारा बना दी गई।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जब दोबारा चारदिवारी बना दिया गया है, तो वह मामूली आदमी नहीं होगा। सरकार की ओर कहा गया कि उक्त प्लाट रैयती है और नंदा उरांव के नाम से वर्ष 1932 का खतियान है, जिसे कोर्ट में पेश कर दिया गया है।
इस पर अदालत ने रांची नगर निगम से पूछा है कि उक्त जमीन किसकी है और वर्तमान में इस पर किसका कब्जा है। इसकी पूरी रिपोर्ट अदालत में दुर्गापूजा अवकाश के बाद कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया है। मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।