Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना नदी तल पर अनधिकृत तरीके से निर्मित एक मंदिर को हटाने से संबंधित याचिका में भगवान शिव को पक्षकार बनाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि भगवान शिव को किसी की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। बल्कि हम सभी उनकी सुरक्षा में हैं और उनका आशीर्वाद चाहते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि यमुना नदी के तल और बाढ़ के मैदानों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाए तो भगवान शिव अधिक प्रसन्न होंगे। अदालत ने बाढ़ क्षेत्र के करीब गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को ध्वस्त करने के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने सोसायटी को मंदिर में मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को हटाने और उन्हें किसी अन्य मंदिर में स्थानांतरित करने के लिए 15 दिन का समय दिया।
भगवान शिव को पक्षकार बनाने की दलील
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील की आधी-अधूरी दलील कि भगवान शिव को भी वर्तमान मामले में शामिल किया जाना चाहिए, निहित स्वार्थ को पूरा करने के लिए पूरे विवाद को पूरी तरह से अलग रंग देने का एक प्रयास है। भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है बल्कि, हम लोग उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद चाहते हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मंदिर आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य करता है, जहां नियमित रूप से लगभग 300 से 400 भक्त आते हैं। याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता सोसायटी को मंदिर की संपत्ति की पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदार प्रबंधन को बनाए रखने के उद्देश्य से 2018 में पंजीकृत किया गया था।
अदालत ने कहा कि विवादित भूमि व्यापक सार्वजनिक हित के लिए है और याचिकाकर्ता इस पर कब्जा जारी रखने और उपयोग करने के लिए किसी निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता है। अदालत ने मंदिर को ध्वस्त करने के आदेश को रद्द करने से इनकार किया 15 दिनों में मंदिर से मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को स्थानांतरित करने का आदेश दिया।