Chhattisgarh Liquor Scam: शराब घोटाला की ईडी जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- अपने हाथ पूरी तरह रोक ले एजेंसी

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाला के प्रवर्तन निदेशालय (ED) जांच पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने यश टुटेजा समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर भी रोक लगा दी।

राज्य सरकार ने दावा किया था कि शराब घोटाला में उत्पाद विभाग के 52 अधिकारियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, ईडी को इस मामले में अपने हाथ पूरी तरह रोक लेने चाहिए।

सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कपिल सिब्बल और सुमीर सोढ़ी ने कहा, ईडी राज्य के अधिकारियों को परेशान कर रही है। अधिकारियों को अब अपनी संपत्तियों का खुलासा करने के लिए नोटिस मिला है ताकि उसे कुर्क किया जा सके।

मनी लांड्रिंग एक्ट को दी है चुनौती

ईडी शराब घोटाला में चौंकाने वाले तरीके से आगे बढ़ रही है। अप्रैल में छत्तीसगढ़ सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की सांविधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश यश टुटेजा, करिश्मा ढेबर और सिद्धार्थ सिंघानिया की याचिका में दी है। याचिकाकर्ताओं ने तीस हजारी कोर्ट में बीते 13 जुलाई के आदेश का हवाला देते हुए ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे।

शराब घोटाला की जांच कर रही ईडी

दरअसल, ईडी ने शराब घोटाला मामले में कार्रवाई करते हुए अनवर ढेबर समेत पांच को गिरफ़्तार किया है। ईडी ने तीस हज़ारी कोर्ट के सीजेएमएम अनुराग ठाकुर की कोर्ट में पेश परिवाद को लेकर कार्रवाई शुरू की गई थी।

ईडी बेहद शक्तिशाली जांच एजेंसी है। लेकिन वह किसी भी मामले का स्वतः संज्ञान नहीं ले सकती। ईडी को कार्रवाई के लिए किसी एफआइआर या कि किसी परिवाद (भले वह केवल विचाराधीन हो) की जरुरत पड़ती है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी के तर्कों को सुनने के बाद यह आदेश दिया है।

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