Chara Ghotala चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद की जमानत पर Jharkhand High Court झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान लालू की ओर से सीबीआई की ओर से कस्टडी की जानकारी को सत्यापित करने के लिए समय की मांग की गई। अदालत ने आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले में अगली सुनवाई 11 दिसंबर को निर्धारित की है। लालू प्रसाद ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में जमानत दाखिल की है।
सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि दुमका वाले मामले में लालू प्रसाद ने 42 माह 26 दिन जेल में बिताएं है, जो सजा की आधी सजा जेल में काट ली है। जबकि सीबीआई ने अपने जवाब में कहा है कि लालू ने इस मामले में सिर्फ 34 माह ही जेल में बिताएं हैं। उनकी ओर से सीआरपीसी की धारा 427 व 428 पर बहस की गई।
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इस पर अदालत ने कहा कि दुमका कोषागार में कब-कब लालू प्रसाद जेल में रहे हैं इसका सपोर्टिंग दस्तावेज भी जमा नहीं किया है। ताकि पता चल सके की सभी मामलों के साथ भी वे दुमका वाले मामले में भी जेल में रहे। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने निचली अदालत के दस्तावेज के अनुसार इस मामले में 34 माह ही जेल में रहने हवाला दिया है।
इस दौरान इस बात पर चर्चा की गई है कि सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में सात-सात साल की सजा सुनाई है और दोनों सजाएं अलग-अलग चलाने का निर्देश दिया है। इस पर अदालत ने कहा कि यह अपील में सुनवाई के दौरान सुना जाएगा कि दुमका मामले में सात साल की सजा मानी जाएगी या फिर 14 साल की सजा।
इसके बाद वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआई की ओर से कस्टडी के सत्यापन के लिए अदालत से समय देने की गुहार लगाई गई जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया और मामले में अगली सुनवाई 11 दिसंबर को निर्धारित की है।
सीबीआई ने कहा- व्यवस्था का लालू कर रहे दुरुपयोग
लालू की जमानत के बाद अदालत ने उस मामले में सुनवाई शुरू की जिसमें जेल आईजी और जेल अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी गई थी। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने रिपोर्ट नहीं दाखिल करने पर स्पष्टीकरण पूछा था। शुक्रवार को दोनों अधिकारियों की ओर अदातल से क्षमा मांगते हुए रिपोर्ट दाखिल किया गया है। इसी दौरान सीबीआई की ओर से कहा गया कि समाचार पत्रों के अनुसार लालू प्रसाद से कई विवाद जुड़ गए हैं।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद को बंगले से पेईंड वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। समाचार के अनुसार लालू की मिली सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं। बिहार में उनके खिलाफ हाल ही में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इसके बाद अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को पक्ष रखने के लिए सरकारी अधिवक्ता के नियुक्ति का आदेश दिया है।