High Court: आयुष्मान योजना में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने सरकार से यह बताने को कहा है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत किसी व्यक्ति का इलाज हुआ है या नहीं इसे जानने का सरकार के पास क्या तरीका है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव को 18 जुलाई को हाजिर होकर अदालत ने यह बताने का निर्देश दिया है।
अदालत ने यह भी पूछा है कि इस योजना के तहत इलाज के बाद निजी अस्पता निजी अस्पताल जो बिल पेश करते हैं उसकी जांच कैसे की जाती है। राज्य में आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों को बकाया का भुगतान नहीं होने और राशि को समायोजित करने में हो रहे विलंब की जांच के लिए झारखंड हाईकोर्ट अशोक कुमार मिश्र ने याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों को बकाया भुगतान नहीं होने से कई अस्पताल अब इस योजना के तहत इलाज नहीं कर रहे हैं।
इस कारण राज्य की गरीब जनता को काफी परेशानी हो रही है और उनका स्वास्थ्य जीवन प्रभावित हो रहा है। याचिका में कहा गया है कि अस्पतालों से भेजे गए दावे को भी लटकाया जा रहा है और राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। अदालत से इस पूरे मामले की जांच कराने का आग्रह किया गया है ताकि आम लोगों को इस योजना का लाभ मिल सके और गरीबों के लिए शुरू की गयी यह योजना सफल हो सके।