रांचीः झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने रतन हाइट्स सोसायटी की याचिका स्वीकार करते हुए रांची नगर निगम की ओर से स्वीकृत किए गए संशोधित नक्शे को निरस्त कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि खाली जमीन पर किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया जाएगा।
अदालत ने बिल्डर और जमीन मालिक को निर्देश दिया है कि सोसाइटी के पास बने गड्ढे को एक माह में भर दिया जाए। अदालत ने जमीन सोसाइटी को हैंड ओवर करने का निर्देश दिया है। पूर्व में इस याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इसको लेकर रतन हाइट्स सोसाइटी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। प्रार्थी की ओर से रोहित रंजन सिन्हा ने पक्ष रखते हुए कहा था कि मोरहाबादी स्थित रतन हाइट्स के पास दूसरा निर्माण किए जाने के कारण जमीन धंस गई है। इससे रतन हाइट्स में रहने वालों को काफी नुकसान हुआ था।
रतन हाइट्स के पास हो रहा था निर्माण
इसके बाद बिल्डर बीकेएस रियलिटी को प्रतिवादी बनाते हुए याचिका दाखिल की गई है। करीब चार माह तक चली सुनवाई के दौरान अदालत ने सोसाइटी के पास की रिटेनिंग वाल (सुरक्षा दीवार) एवं अन्य की जांच मेकन से कराई थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कहा गया कि पूर्व में रतन हाइट्स की कुल जमीन 86 कट्ठा था।
46 कट्ठा में निर्माण हुआ था और बाकी जमीन सोसाइटी के लिए छोड़ दिया गया था। लेकिन बाद में जमीन मालिक ने उसे दूसरे बिल्डर को दे दिया। बिना नक्शा में संशोधन कराए नगर निगम की ओर से दूसरा नक्शा पास करा लिया गया। यह पूरी तरह से गलत है। उक्त जमीन सोसाइटी की है।
बिल्डर और जमीन मालिक कहना था कि इस जमीन पर नगर निगम ने नक्शा पास किया है। इतनी जमीन सोसाइटी को नहीं दी जा सकती है। निर्माण कार्य होना सही है। सरकार की ओर से कहा गया था कि यह बिल्डर और रतन हाइट्स का निजी विवाद है। दोनों एक दूसरे की बात नहीं मान रहे हैं। उपायुक्त ने कोर्ट को बताया था कि रतन हाइट्स जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग बना दिया गया है, जो चालू हालत में है।