रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले को रोकने और उपद्रव के मुख्य आरोपी भैरव सिंह ने रांची सिविल कोर्ट के न्यायिक दंडाधिकारी अभिषेक प्रसाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।
रांची पुलिस को चकमा देते हुए भैरव सिंह अपने सहयोगियों और अधिवक्ताओं के साथ कोर्ट पहुंचा। इसकी सूचना मिलते ही कोतवाली एएसपी दल बल के साथ कोर्ट पहुंचे।
इस दौरान आरोपी को हिरासत में लेने की कोशिश की। कोर्ट रूम पहुंचने के बाद आरोपित की गिरफ्तारी के प्रयास का अधिवक्ताओं ने कड़ा एतराज जताया।
इस दौरान हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई। पुलिस और अधिवक्ताओं में हल्की नोक-झोंक भी हुई। अधिवक्ताओं के विरोध को देखते हुए पुलिस को पीछे हटना पड़ा।
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इसके बाद सुखदेवनगर थाना पुलिस ने आवेदन देकर पूछताछ के लिए आरोपी को 14 दिनों का रिमांड देने की मांग की। कोर्ट ने पुलिस को सात दिनों के सर्शत रिमांड की अनुमति प्रदान की।
गौरतलब है कि चार जनवरी को सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के किशोरगंज में भैरव सिंह एवं उसके साथी ओरमांझी में सिर कटा शव मिलने के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
इसी दौरान सीएम हेमंत सोरेन सचिवालय से आवास आ रहे थे। पुलिस ने जब उपद्रवियों को हटाने की कोशिश की तो झड़प हो गई जिसमें यातायात थाना प्रभारी नवल किशोर सिंह बुरी तरह घायल हो गए।
पुलिस ने भैरव सिंह सहित 74 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में चार महिलाएं सहित अबतक 27 लोगों को जेल भेजा जा चुका है।
दुष्कर्म व हत्या के का हो रहा था विरोध प्रदर्शन: भैरव
कोर्ट से हाजत ले जाने के दौरान भैरव सिंह ने कहा कि ओरमांझी में हमारी बहन की जघन्य हत्या हुई। यह दृष्य देखकर किसी भी भाई का खून नहीं खौलेगा।
हमलोग अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। हमें इसकी जानकारी नहीं थी कि सीएम के काफिला उधर से गुजरने वाला है और न ही हमलोगों ने सीएम के काफिले पर हमला किया। पुलिस दुष्कर्मी को पकड़ने के बजाय आवाज उठाने वालों को झूठे मुकदमे में फंसा रही है।