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झालसा के नए भवन के निर्माण में देरी पर हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी, कहा देरी का स्पष्ट कारण बताएं नहीं तो आना पड़ सकता चीफ सेक्रेटरी को

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रांचीः झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में कोर्ट की सुरक्षा से संबंधित कई जनहित याचिका की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने झारखंड लीगल सर्विस अथारिटी (झालसा) के नए भवन के निर्माण में देरी पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि अगर राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट कारण नहीं बताया गया तो मुख्य सचिव को भी अदालत में बुलाया जा सकता है। राज्य के सिविल कोर्ट की सुरक्षा एवं आधारभूत संरचना के संबंध में खंडपीठ ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने काउंसिल से पूछा है कि जिलों के बार भवन में सुरक्षा की क्या-क्या कमी है, कहां-कहां भवन बनाने की जरूरत है, इन सारे विषयों में जवाब दाखिल करें। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि वर्ष 2018 में इस भवन के निर्माण के लिए 48 करोड़ की तकनीकी स्वीकृति दी गई थी, जो वर्ष 2024 में 57 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। राज्य सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह झालसा के नए भवन को बनाने के लिए में देरी क्यों कर रही है। इसके लिए जमीन भी सरकार की ओर आवंटित कर दी गई है। जमीन की घेराबंदी भी हो चुकी है।

निर्माण में देरी के कारण लागत राशि में बढ़ोतरी होती है। झालसा के नए भवन बनने में छह वर्षों की देरी हो चुकी है, जो पैसे खर्च होंगे जनता की कमाई के पैसे हैं। झालसा के पुराने भवन में मध्यस्थता सेंटर, आडिटोरियम जैसे कई आधारभूत संरचना की कमी है। अदालत ने केंद्र सरकार को भी आवंटित फंड के संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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