शिक्षक प्रोन्नतिः हाई कोर्ट ने कहा- सरकार का भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति देने का आदेश बिल्कुल सही, नहीं करेंगे हस्तक्षेप
रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत में राज्य के शिक्षकों को भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति देने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2019 में भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति देने के आदेश को सही ठहराया है। अदालत ने प्रगतिशील शिक्षक संघ की याचिका खारिज कर दी है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि शिक्षा विभाग अहर्ता पूरा करने वाले शिक्षकों को ग्रेड चार से ग्रेड सात तक सभी पदों पर प्रोन्नति प्रदान करे।
प्रोन्नति के आदेश के खिलाफ दाखिल थी याचिका
इस संबंध में प्रगतिशील शिक्षक संघ की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। प्रारंभ में अदालत ने राज्य सरकार के पूर्वर्ती तिथि से प्रोन्नति देने के आदेश पर रोक लगा दी थी।
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इसके खिलाफ अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से हाई कोर्ट के खंडपीठ में अपील दाखिल की गई थी। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने इसे एकल पीठ में भेजते हुए जल्द आदेश देने को कहा था।
सुनवाई के दौरान प्रगतिशील शिक्षक संघ की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2016 में सभी शिक्षक की नियुक्ति ग्रेड-4 में हुई है। वे सभी शिक्षक सरकार के संकल्प से प्रभावित हो रहे हैं।
संघ की ओर से सरकार के भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति देने के आदेश को वर्ष 1993 में बनी प्रोन्नति नियमवाली के विरुद्ध बताया गया।
कोर्ट के आदेश पर बनी है नियमवाली
प्रतिवादियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि भूतलक्षी प्रभाव से शिक्षकों को प्रोन्नति देने का संकल्प राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश पर बनाया है।
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प्रार्थियों का यह मानना गलत है कि उनकी नियुक्ति वर्ष 1993 की नियमावली के तहत सीधे तौर पर ग्रेड-4 में हुई है। वर्ष 2016 में नियुक्ति हुए शिक्षकों की अगल प्रक्रिया के तहत नियुक्ति हुई है।
उनकी प्रोन्नति के लिए नियमावली सरकार के पास निर्माणाधीन है। प्रार्थी किसी भी तरह वर्ष 1993 के नियमवाली के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में सरकार का पूर्व में नियुक्ति शिक्षकों को प्रोन्नति देने के लिए जारी संकल्प बिल्कुल सही है।
प्रगतिशील शिक्षक संघ की याचिका खारिज
इसके बाद अदालत ने प्रगतिशील शिक्षक संघ की याचिका को खारिज कर दिया। बत दें कि झारखंड राज्य गठन के बाद कुछ जिलों में शिक्षकों की वरीयता सूची बनाकर प्रोन्नति दी गई थी।
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लेकिन अनेकों जिलों में वरीयता सूची नहीं बनी थी। जो कि वर्षवार बनाई जानी थी। वर्ष 1993 के प्रोन्नति नियमवाली के प्रावधानों के तहत शिक्षकों के वेतनमान के आधार पर 8 ग्रेड बनाए गए थे।
ग्रेड-4 से ग्रे-7 तक प्रोन्नति और प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति योग्यता एवं वरीयता के आधार पर होता था। अनेकों जिलों में वरीयता सूची नहीं बनाने के कारण और वर्ष में रिक्त पदों प्रोन्नति नहीं देने के कारण शिक्षकों को उचित ग्रेड का वेतनमान नहीं मिला।
इसको लेकर झारखंड हाई कोर्ट में कई याचिकाएं भी पूर्व में दाखिल की गई थीं। जिस पर अदालत ने आदेश पारित किया था। जिसके आधार पर सरकार ने पूर्ववर्ती तिथि से प्रोन्नति देने के लिए संकल्प जारी किया है।