सुप्रीम कोर्ट ने खान-खनिज संपदा वाली भूमि पर राज्यों को कर वसूलने का अधिकार वाले 9 जजों की संविधान पीठ के फैसले को पहले से लागू किया जाए या अब से, इस पहलू पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले, केंद्र सरकार ने फैसले को पूर्वव्यापी यानी पहले से लागू करने की मांग का कड़ा विरोध किया।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 9 जजों की संविधान पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि जब खनन क्षेत्र प्रभावित होता है तो पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल मेहता से जानना चाहा कि ‘जब मामला अदालत में विचाराधीन था, तब अंतरिम व्यवस्था क्या थी।’ इस पर उन्होंने पीठ को बताया कि ओडिशा जैसे कुछ राज्यों ने 1989 के फैसले के बाद कोई मांग नहीं की, जबकि कुछ ने मांग की थी।
…तो 70,000 करोड़ देना होगा केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि यदि फैसले को पूर्वव्यापी लागू किया तो अनुमान के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अपने खजाने से 70,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।