Ranchi: महिला अधिवक्ताओं की एसोसिएशन की एक अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। इस अर्जी में काफी संख्या में मौजूद मेधावी महिला वकीलों को हाई कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने पर विचार करने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ सुप्रीम कोर्ट वूमन लॉयर्स एसोसिएशन की इस अर्जी पर सुनवाई करेगी।
यह अर्जी अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने दाखिल की है। इसमें उच्चतर न्यायापालिका में जजों के तौर पर महिलाओं की 11.04 फीसदी भागीदारी रहने का उल्लेख करते हुए इसे काफी कम बताया गया। इस हस्तक्षेप अर्जी में विभिन्न हाई कोर्ट में वर्तमान में पदस्थ महिला न्यायाधीशों का चार्ट भी दिया गया है और उच्चतर न्यायपालिका में रिक्तियों को भरने से जुड़े लंबित विषय में पक्षकार बनाने की मांग की गई है।
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याचिका में कहा गया है कि चार्ट से यह प्रदर्शित होता है कि न्यायाधीशों की 1,082 मंजूर पदों (स्थायी एवं अतिरिक्त न्यायाधीश, दोनों ही) में हमारे पास 661 न्यायाधीश ही हैं, जिनमें 73 महिला न्यायाधीश हैं और वे 11.04 प्रतिशत ही हैं। इसमें कहा गया है कि देश की आजादी से लेकर आज तारीख तक उच्चतम न्यायालय में सिर्फ आठ महिला न्यायाधीश नियुक्त की गईं हैं, जबकि 1950 से लेकर 2020 तक कुल 247 न्यायाधीश नियुक्त किये गए।
महिला वकीलों के एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय में वकालत कर रहीं मेधावी महिला अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने पर विचार करने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।अर्जी के जरिए केंद्र को ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रॉसीजर’ में उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान शामिल करने और उन पर विचार करने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।