Ranchi: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी को मंगलवार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों बीजेपी सांसदों के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने देवघर एयरपोर्ट से उड़ान से जुड़े विवाद में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर दर्ज एफआईआर को निरस्त करने को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका रद्द कर दी। अदालत ने उनके खिलाफ झारखंड सीआईडी की तरफ से की जा रही जांच रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। अपने टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने फैसला देते हुए कहा कि अगर इस मामले में कोई केस बनता भी है, तो वह एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत बनता है। इस एक्ट का मामला केंद्र सरकार के तहत आने वाले डीजीसीए को देखना होता है। इसमें राज्य सरकार की सीआईडी का कोई काम नहीं।
झारखंड हाईकोर्ट ने मार्च 2023 को एफआईआर को किया था निरस्त:
झारखंड हाईकोर्ट में 3 मार्च 2023 को उक्त मामले में सुनवाई हुई थी। जहां जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने कुंदा थाने में दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया था। ऐसा करने से देवघर एयरपोर्ट मामले में सांसद निशिकांत दुबे, उनके दो बेटे, सांसद मनोज तिवारी और भाजपा नेता कपिल मिश्रा सहित 9 लोगों को राहत मिली थी। झारखंड हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि पुलिस की कार्रवाई दुर्भावना भरा है। हाईकोर्ट ने कहा था कि मामला पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है। सांसदों पर केस दर्ज करने से पहले सक्षम ऑथोरिटी से अनुमति भी नहीं ली गई। जिसके बाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। जहां आज अदालत ने फैसला सुनाया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देवघर एयरपोर्ट में कथित तौर पर जबरन घुसने और विमान उड़ाने का दबाव बनाने के मामले में झारखंड पुलिस अपने पास उपलब्ध सामग्री डीजीसीए को दे सकती है। अगर डीजीसीए चाहे तो इसके आधार पर कार्रवाई कर सकता है।
देवघर जिले के कुंडा थाने में दर्ज हुई थी एफआईआर
मालूम हो कि देवघर एयरपोर्ट से निजी विमान के उड़ान पर विवाद की यह घटना 31 अगस्त, 2022 को हुई थी। इस मामले में देवघर एयरपोर्ट की सिक्योरिटी में तैनात डीएसपी सुमन अमन की शिकायत पर देवघर जिले के कुंडा थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया। उन्होंने एटीएस पर शाम में निजी विमान को उड़ान भरने के लिए दबाव बनाया। प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 336 (दूसरों का खतरे में डालना) और 441 (किसी परिसर में जबरन प्रवेश) से भी जुड़ा था।