दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में अप्रैल में दो साधुओं समेत तीन व्यक्तियों की पीट-पीटकर हत्या के मामले में न्यायिक जांच और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की
मांग करने वाली एक अन्य याचिका पर इन्कार करते हुए उसे खारिज कर दिया।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले का अदालत पहले ही स्वत: संज्ञान ले चुकी है।
याचिकाओं को एक-एक करके बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।
याचिकाकर्ता जय कृष्ण सिंह ने कहा कि उनकी याचिका में देश में हाल में हुई हत्या की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त की गई है, हालांकि याचिका पालघर की घटना की लेकर दाखिल की गई है।
याचिका में उनकी ओर से पालघर की घटना के दौरान मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
याचिका में उस पुलिसकर्मी के खिलाफ भी कार्रवाई का अनुरोध किया गया था जो टीवी फुटेज में 70 वर्षीय साधु को अपने पास से हटाता हुआ दिख रहा है।
उन्होंने तीन व्यक्तियों की हत्या की इस घटना की न्यायिक जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज अथवा किसी हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित करने का निर्देश देने की मांग की थी।
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इसके अलावा याचिका में पुलिस अधिकारियों समेत आरोपियों के खिलाफ मामले की निगरानी के लिए भी न्यायिक समिति के गठन की मांग की ताकि इस मामले में जल्द से जल्द न्याय हो सके।
इससे पहले, 11 जून को इस घटना की सीबीआई एवं एनआईए से अलग-अलग जांच करवाने की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा था।
हालांकि सुप्रमी कोर्ट ‘श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा’ के साधुओं की ओर से दायर याचिका और मारे गए साधुओं के संबंधियों की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई है।
उनकी याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य पुलिस की जांच पक्षपातपूर्ण तरीके से की जा रही है। इसलिए इस घटना की एनआईए से जांच कराई जाए।
गौरतलब है कि घटना 16 अप्रैल की रात की है जब तीनों व्यक्ति मुंबई के कांदीवली से गुजरात के सूरत में एक अंत्येष्टि में शामिल होने जा रहे थे। तभी भीड़ ने गढ़चिंचले गांव के निकट
उनकी कार रोकी और पुलिस की मौजूदगी में उन पर हमला किया और उनकी हत्या कर दी।