रांची। हजारीबाग स्थित सेंट जेवियर स्कूल से निकाले गए छात्रों को झारखंड हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने इस मामले को सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए प्रार्थी को झारखंड एजुकेशनल ट्रिब्यूनल (जेट) में जाने का निर्देश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रार्थियों को पहले जेट जाना चाहिए था। अदालत ने हजारीबाग के सेंट जेवियर स्कूल से निकाले गए छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए एक अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और 12 अक्टूबर को फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की थी। इस संबंध में कुमार नीतीश सहित अन्य छात्रों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें स्कूल प्रबंधन की ओर से की गई कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।
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पूर्व में सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया था कि हजारीबाग के सेंट जेवियर स्कूल ने कक्षा दो से लेकर कक्षा आठ तक के सात छात्रों को निष्कासित कर दिया है। आरटीई एक्ट के बाद शिक्षा का अधिकार संवैधानिक अधिकार होने से छात्रों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रों को निकाला जाना पूरी तरह से गलत है।
इसके अलावा राज्य सरकार ने भी अपने आदेश में लॉकडाउन के दौरान किसी भी छात्रों पर किसी प्रकार की कार्रवाई करने पर रोक लगाई है। इस पर सेंट जेवियर स्कूल प्रबंधन की ओर से याचिका की मेरिट पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि यह याचिका हाई कोर्ट में सुनवाई योग्य नहीं है। प्रार्थियों को अपनी मांग झारखंड एजुकेशनल ट्रिब्यूनल के समक्ष रखनी चाहिए।