Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने उस जनहित याचिका को दूसरी बेंच में सुनवाई के लिए भेज दिया है, जिसमें वेकेशन कोर्ट में नियमों का पालन किए बिना ही एक मामले की सुनवाई करने का आरोप गया गया हैं।
अधिवक्ता रामसुभग सिंह ने याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि शाह ब्रदर्स के लीज से संबंधित मामलों में सुनवाई के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसलिए इस मामले में एकलपीठ के आदेश और इस आदेश के बाद सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर रोक लगा देनी चाहिए।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इसे दूसरी बेंच में सुनवाई के लिए भेज दिया। याचिका में प्रार्थी रामसुभग सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है कि वेकेशन कोर्ट में अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई किए जाने का ही प्रावधान किया गया था। आम तौर पर वेकेशन कोर्ट में आपारधिक और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है।
उन सिविल मामलों की सुनवाई की जाती है जिसमें तत्काल आदेश दिया जाना जरूरी है। प्रार्थी का कहना है कि शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज सरकार ने रद कर दिया था। यह मामला ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले भी सूचीबद्ध था और उस पर सुनवाई भी हो रही थी।
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लेकिन ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान वेकेशन बेंच में यह मामला मेंशन किया गया। इसमें सहमति भी मिल गई और सुनवाई भी कर ली गई। शाह ब्रदर्स ने याचिका दाखिल कर लीज नवीकरण करने और खनन के दौरान जमा खनिज पदार्थों के ले जाने की अनुमति मांगी थी।
शाह ब्रदर्स की ओर से बताया गया था कि सरकार ने लीज रद करने का जो नोटिस दिया है उसमें उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है। प्रार्थी का कहना है कि वेकेशन कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह मामला सरकार के पास फिर से विचार करने के लिए भेज दिया और इस पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।
प्रार्थी का आरोप है कि इस आदेश के बाद सरकार ने भी खनिज ले जाने की छूट प्रदान की। प्रार्थी ने अदालत से एकलपीठ के आदेश और इसके बाद सरकार की ओर से की गई कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया है।